कर्मचारियों के साथ सरकार बनाएगी संवाद, चुनावी साल में कर्मचारियों को नाराज नहीं करना चाहती सरकार, कर्मचारी संगठनों को दिया जा रहा है वार्ता का न्यौता, कर्मचारी संगठनों ने भी वार्ता, मांगे मनवाने को लेकर तेज किया दबाव 

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कर्मचारियों के साथ सरकार बनाएगी संवाद, चुनावी साल में कर्मचारियों को नाराज नहीं करना चाहती सरकार, कर्मचारी संगठनों को दिया जा रहा है वार्ता का न्यौता, कर्मचारी संगठनों ने भी वार्ता, मांगे मनवाने को लेकर तेज किया दबाव

देहरादून।

आंदोलन को लेकर बांहे चढ़ाए बैठे कर्मचारियों के साथ सरकार संवाद बनाएगी। चुनावी साल में सरकार कर्मचारियों को नाराज करने के मूड में नहीं है। इसके लिए कर्मचारी संगठनों को वार्ता का न्यौता दिया जा रहा है। कर्मचारी संगठनों ने भी वार्ता, मांगे मनवाने को दबाव तेज कर दिया है।
चुनावी समय को कर्मचारी संगठन अपने लिए सबसे अधिक मुफीद मान रहे हैं। यही वजह है, जो एक सिरे से कर्मचारी संगठनों ने मांगे मनवाने को दबाव तेज कर दिया है। सभी कर्मचारी संगठनों ने अपने आंदोलन के कार्यक्रम घोषित कर दिए हैं। या फिर उन्हें घोषित किए जाने को लेकर प्रदेश कार्यकारिणी बैठकों के आयोजन का समय तय कर लिया है। कर्मचारियों के आंदोलन को मूड को भांपते हुए सरकार ने भी मान मनोव्वल का रास्ता अपना लिया है। एक सिरे से कर्मचारी संगठनों को वार्ता के लिए बुलाया जा रहा है। सीएम स्वयं कर्मचारी संगठनों से बात कर रहे हैं। ताकि कर्मचारी आंदोलनों को शुरुआत में ही थामा जा सके।

मुख्यमंत्री के साथ वार्ता सकारात्मक रही। उन्हें 11 प्रतिशत डीए, पदोन्नति में शिथिलीकरण, पुरानी एसीपी का लाभ दिए जाने समेत अन्य मांगों से अवगत कराया गया। उन्होंने जल्द अधिकारियों के साथ एक बड़ी बैठक बुलाने का आश्वासन दिया है।
दीपक जोशी, अध्यक्ष सचिवालय संघ

मुख्यमंत्री के साथ वार्ता में पेयजल के राजकीयकरण की मांग की गई। सिर्फ एक सूत्रीय मांग उनके समक्ष रखी गई। क्योंकि बिना राजकीयकरण के कर्मचारियों को समय पर वेतन भत्तों का लाभ नहीं मिल पा रहा है। पेयजल जैसा अहम सेक्टर हर राज्य में सरकारी विभाग है। सीएम की ओर से आश्वासन दिया गया है।
जितेंद्र सिंह देव, अध्यक्ष जल निगम संयुक्त संघर्ष समन्वय समिति

सरकार कर्मचारियों की मांगों को लेकर हमेशा से ही गंभीर रही है। कर्मचारियों की मांगों को लेकर उनसे वार्ता भी की जा रही है। जो उनकी जायज मांगे हैं, उनके निस्तारण की दिशा में भी ठोस कार्रवाई की जा रही है। कर्मचारियों को आंदोलन की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि सरकार उनके प्रति सकारात्मक रुख अपनाए हुए है।
सुबोध उनियाल, सरकारी प्रवक्ता

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