बॉर्डर एरिया के क्षेत्र के लोगों को ओबीसी में किया जाए शामिल: अशोक वर्मा, ओबीसी आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक वर्मा ने नये सिरे से सर्वे की मांग, क्रीमीलेयर की सीमा को आठ से दस लाख रुपये तक बढ़ाने पर दिया जोर

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बॉर्डर एरिया के क्षेत्र के लोगों को ओबीसी में किया जाए शामिल: अशोक वर्मा, ओबीसी आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक वर्मा ने नये सिरे से सर्वे की मांग, क्रीमीलेयर की सीमा को आठ से दस लाख रुपये तक बढ़ाने पर दिया जोर

देहरादून।

ओबीसी आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक वर्मा ने राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों को ओबीसी में शामिल करने की मांग की। कहा कि सरकार जांच करा कर वहां के मूल निवासियों को ओबीसी श्रेणी का दर्जा दे। ताकि वहां से पलायन रुक सके।
उन्होंने कहा कि बॉर्डर एरिया के ऐसे क्षेत्र जो सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक स्थिति के लिहाज से पिछड़े हुए हैं। उन क्षेत्रों की स्थिति ठीक नहीं है। उन क्षेत्रों की जांच करा कर वहां के मूल निवासियों को ओबीसी श्रेणी में रखा जाए। इससे उन क्षेत्रों की स्थिति सुधरेगी। इसका सीधा लाभ सीमावर्ती क्षेत्रों से पलायन रोकने में मिलेगा। राज्य की भौगोलिक स्थिति के लिहाज से ये जरूरी भी है। पहाड़ों पर तेजी से खाली होते सीमावर्ती क्षेत्रों का सामरिक लिहाज से भी ठीक नहीं है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। इन क्षेत्रों पर विशेष फोकस करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि राज्य में करीब 87 जातियां ओबीसी में शामिल हैं। उनके कार्यकाल में राज्य की कई जातियां सेंट्रल सूची में भी शामिल हुई। कई जाति मानक पूरे न करने के कारण शामिल नहीं हो पाईं। उन्होंने कहा कि राज्य में भी 14 से 27 प्रतिशत आरक्षण किया जाए। उन्होंने जोर दिया कि क्रीमीलेयर दस लाख से ऊपर होना चाहिए। जो अभी आठ लाख रुपये सालाना है।

उत्तराखंड बनने के दौरान थी 79 जातियां
अशोक वर्मा ने बताया कि राज्य बनने के दौरान पूर्ववर्ती प्रदेश उत्तर प्रदेश से 79 जातियां अंगीकृत की गई थीं। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद उत्तराखंड सरकार ने आठ और जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग की जातियों की सूची में शामिल किया। जिसके बाद कुल जातियां 87 हो गईं। 2011 की जनगणना के आधार पर अन्य पिछड़े वर्ग की जन संख्या 1597628 थी। वर्तमान में अन्य पिछड़े वर्ग की जनसंख्या 2010345 है।

नई शामिल जातियां
पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, नैनीताल, बागेश्वर में कुथलिया बोरा, घृत बाहती, गोरखा समुदाय, रंवाल्टा जौनसारी समुदाय, उत्तरकाशी में महर, देहरादून में बिन्हारी समुदाय, पिथौरागढ़ में अनुवाल समुदाय, टिहरी में फिकवाल समुदाय।

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