देहरादून।
सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत के निर्देश पर बनी जांच समिति ने दी अपनी सनसनीखेज रिपोर्ट, बताया कॉपरेटिव बैंक भर्ती में जमकर हुई धांधली, कूट रचना कर बदल दिए नंबर, बैंकों ने अपने स्तर पर ही बदल दी भर्ती प्रक्रिया, फर्जी खेल प्रमाण पत्रों पर लुटाए नंबर
बैंक भर्ती में गड़बड़ियों की शिकायत मिलने पर कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने सहकारिता विभाग का दोबारा जिम्मा मिलने के 24 घंटे के भीतर ही जांच के आदेश दिए। उप निबंधक नीरज बेलवाल और मान सिंह सैनी को जांच अधिकारी बनाया गया। जांच समिति ने सबसे पहले देहरादून और दूसरे चरण में पिथौरागढ़ बैंक की जांच रिपोर्ट दी। अंत में यूएसनगर की रिपोर्ट देकर जांच को पूरा किया।
शासन के सहकारिता विभाग के सूत्रों के अनुसार जांच रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर धांधली का खुल कर जिक्र किया गया है। बताया गया है कि हर बैंक ने अपने स्तर पर ही भर्ती प्रक्रिया के मानकों और नियमों में बदलाव कर दिया। नियम था कि स्कूल, कालेज और डिग्री कालेज में पाठ्यक्रम के अतिरिक्त संचालित गतिविधियों के भी नंबर दिए जाएंगे। बैंकों ने सिर्फ खेलकूद प्रमाण पत्र को स्वीकार करते हुए नंबर दिए। एनसीसी, एनएसएस समेत दूसरी अहम गतिविधियों से मिले प्रमाण पत्रों के नंबर नहीं दिए गए। खेल के भी फर्जी प्रमाण पत्रों के नंबर दिए गए। जिला फुटबाल लीग के एक ही साल के कई सर्टिफिकेट के नंबर दे दिए गए। जबकि लीग साल में एकबार ही होती है। जिन वर्षों में लीग हुई भी नहीं, उनके भी नंबर दिए गए।
नई सरकार बनने से पहले ही अफसरों ने कर दिया काम
अफसरों ने आचार संहिता लगने के बाद और नई सरकार के गठन, मंत्रालयों के आवंटन से पहले ही पूरे खेल को अंजाम दिया। देहरादून डीसीबी की भर्ती को रजिस्ट्रार कार्यालय ने 23 मार्च को मंजूरी दी। मंजूरी मिलने के महज कुछ घंटों के भीतर ज्वाइनिंग भी करा दी गई। पिथौरागढ़ की भर्ती को रजिस्ट्रार स्तर से 21 फरवरी को मंजूरी मिली, यहां ज्वाइनिंग 22 से 24 मार्च के बीच हुई। यूएसनगर में रजिस्ट्रार ऑफिस से 21 फरवरी को मंजूरी मिलने के बाद 16 मार्च को ज्वाइनिंग दी गई। कई बैंकों ने शासन के ज्वाइनिंग न कराने के आदेशों को भी ताक पर रख नियुक्ति दी।
रजिस्ट्रार ऑफिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में
इस मामले में रजिस्ट्रार ऑफिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। भर्ती को मंजूरी देने से पहले सभी बैंकों से अभ्यर्थियों से जुड़े सभी प्रमाण पत्र मंगाए गए। विज्ञापन, भर्ती नियम, खेल, अनुभव प्रमाण पत्र, शैक्षणिक प्रमाण पत्र, शारीरिक परीक्षा, इंटरव्यू के नंबर तक मंगाए गए। सवाल उठ रहा है कि आखिर इतने सारे प्रमाण पत्र मंगा कर क्या जांच की गई। किस आधार पर भर्ती को मंजूरी दी गई। यदि बिना प्रमाण पत्र देखे ही मंजूरी देनी थी, तो क्यों रिकॉर्ड मंगाया गया। बताया जा रहा है कि रिकॉर्ड के इसी मूवमेंट के दौरान नंबरों से छेड़छाड़ भी हुई। अब ये छेड़छाड़ किस स्तर से हुई, इस पर रिपोर्ट में कोई जिक्र नहीं किया गया।
अनुभव प्रमाण पत्र में भी खेल
नियम था कि सहकारिता विभाग, सहकारी संस्थाओं और सहकारी परियोजनाओं में काम करने वालों को ही अनुभव के नंबर दिए जाएंगे। एक साल के दो नंबर और अधिकतम दस नंबर दिए जाने थे। इसमें भी खेल करते हुए पात्र लोगों को नंबर नहीं दिए गए और अपात्रों पर नंबर लुटा दिए गए।
कूट रचना कर बदल दिए गए नंबर
जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि कूट रचना कर नंबरों को बदल दिया गया है। देहरादून में ही कई लोग ऐसे रहे, जिन्हें पहले ज्यादा नंबर मिले। बाद में कूट रचना कर नंबरों को कम कर दिया गया। इंटरव्यू में जिन्हें कम नंबर मिले, उनके नंबर बाद में बड़ा दिए गए। फॉर्म की स्क्रूटनी में भी गड़बड़ी की गई।
पूरी मेरिट ही कर दी प्रभावित
अफसर, बैंक प्रबंधनों ने मिल कर पूरी मेरिट ही प्रभावित कर दी। खेल, अनुभव, इंटरव्यू के नंबरों में छेड़छाड़ कर मेरिट लिस्ट को पूरी तरह गड़बड़ा दिया गया। इसके कारण जो लोग चयनित होने वाले थे, वे इस गड़बड़ी के कारण दौड़ से ही बाहर हो गए।
करीबी और रिश्तेदारों को जमकर बांटे नंबर
भर्ती में बड़े पैमाने पर सहकारिता से जुड़े नेताओं, अफसरों के करीबियों और रिश्तेदारों को जमकर नंबर बांटे गए। सहकारिता के तीन और सहकारी बैंक के दो अफसरों के बेहद करीबियों का चयन हुआ। पिथौरागढ़ बैंक में एक जीएम के बेटे का चयन हुआ। इन्हीं लोगों के चहेतों को अधिक नंबर देने के दौरान मेरिट लिस्ट से छेड़छाड़ की गई। कई लोग तो ऐसे रहे, जो पहले मेरिट में नहीं आ रहे थे, बाद में बैकडोर के जरिए उनकी एंट्री कराई गई।
मैं अभी अवकाश पर हूं, लेकिन तीनों बैंकों की जांच रिपोर्ट मिल गई है। उसका परीक्षण कराया जा रहा है। जल्द इस मामले में पूरा ब्यौरा उच्च स्तर के समक्ष रखा जाएगा।
बीवीआरसी पुरुषोत्तम, सचिव सहकारिता
सहकारिता विभाग की 29 मार्च को जिम्मेदारी मिलते ही तत्काल जांच के आदेश दिए गए थे। सभी बैंकों को ज्वाइन न कराने के आदेश दिए थे। जांच रिपोर्ट पर सचिव सहकारिता के स्तर से परीक्षण कराया जा रहा है। जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ बेहद सख्त कार्रवाई की जाएगी। किसी भी तरह का सख्त फैसला लेने से पीछे नहीं हटा जाएगा।
धन सिंह रावत, सहकारिता मंत्री