ये सीएम त्रिवेंद्र रावत की सख्ती का असर, कोटद्वार अस्प्ताल के नाम पर ब्रिज एंड रूफ कंपनी को जारी पूरे 20 करोड़ कर्मकार बोर्ड के खाते में लौटे, अब आरोपियों पर होनी है कार्रवाई
देहरादून।
सीएम त्रिवेंद्र रावत की सख्ती का ही असर रहा, जो कोटद्वार अस्पताल के नाम पर ब्रिज एंड रूफ कंपनी को जारी पूरे 20 करोड़ कर्मकार बोर्ड के खाते में लौट आए हैं। सरकार की सख्ती के चलते कंपनी को पैसा लौटाना पड़ा। कंपनी ने पहले 18 करोड़ रुपये लौटाए थे। शेष दो करोड़ रुपये शुक्रवार को लौटाए। ये पैसा बोर्ड ने बिना सरकार की वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति के ही नियम विरुद्ध सीधे ब्रिज एंड रूफ कंपनी के खाते में डाल दिए थे।
ये पैसा कोटद्वार में 300 बेड के अस्पताल निर्माण के नाम पर दिए गए। इस अस्पताल के निर्माण को लेकर कर्मकार कल्याण बोर्ड और ईएसआई के बीच एमओयू 31 जुलाई को हुआ। तय हुआ कि अस्पताल निर्माण में सहायता के तौर पर बोर्ड 50 करोड़ रुपये ईएसआई को देगा। ईएसआई इसे आगे ब्रिज एंड रूफ कंपनी को देगा। हालांकि 31 जुलाई की बैठक के तत्काल बाद ईएसआई निदेशक ने स्वयं को इस एमओयू से अलग कर लिया। तर्क दिया कि वे इस एमओयू के लिए अधिकृत ही नहीं हैं। इसके बावजूद बोर्ड ने ठीक छह दिन बाद छह अगस्त 2020 को पहली किश्त के रूप में 20 करोड़ ईएसआई की बजाय ब्रिज एंड रूफ कंपनी को दे दिए।
सरकार ने तत्काल प्रकरण की जांच कराई। प्रारंभिक पड़ताल में पाया गया कि इस अस्पताल के लिए 20 करोड़ जारी करने को शासन स्तर से न तो कोई वित्तीय और न ही कोई प्रशासनिक स्वीकृति जारी की गई। न टीएसी हुई और न ही ईएफसी हुई। इस पर सरकार ने कंपनी को तत्काल पूरा पैसा लौटाने को कहा। कंपनी ने डीपीआर और अन्य प्रशासनिक खर्चों का हवाला देते हुए सिर्फ 18 करोड़ ही लौटाए। दो करोड़ रोक दिए। इस पर कंपनी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई। सरकार के सख्त रुख के बाद शेष दो करोड़ भी लौटा दिए गए।
बोर्ड से जारी 20 करोड़ वापस आने के बाद अब इस भुगतान प्रक्रिया में शामिल अफसरों पर भी कार्रवाई होनी है। इस पूरी प्रक्रिया में किस किस की संलिप्तता है। इसके लिए सरकार ने आईएएस वी षणमुगम की अध्यक्षता में एक जांच समिति बनाई है। समिति की कुछ बैठकें हो चुकी हैं। समिति ने सारा रिकॉर्ड भी अपने कब्जे ले लिया है।