किसे बांटी साइकिल, सिलाई मशीन, टूल किट, बताए कर्मकार बोर्ड, एजी ऑफिस ने तलब किया है लाखों लाभार्थियों का ब्यौरा, कर्मकार बोर्ड के ऑडिट को ब्यौरा जुटाने में छूट रहे पसीने
देहरादून।
उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड ने 2017 से 2022 तक कितने श्रमिकों को सामान बांटा है। इसका एक एक ब्यौरा एजी ऑफिस की टीम ने ऑडिट के लिए मांगा है। इस ब्यौरे को देने में बोर्ड के पसीने छूट रहे हैं। बोर्ड के पास इन लाखों लाभार्थियों का कोई भी सटीक ब्यौरा नहीं है। ऐसे में बोर्ड अफसरों को समझ नहीं आ रहा है कि ऑडिट के दौरान एजी की टीम को क्या जानकारी दी जाए।
इस बार एजी ऑफिस परफार्मेंस ऑडिट के नाम पर 2017 से लेकर 2022 के बीच की पड़ताल करने जा रहा है। पहले ऑडिट एक एक साल का होता था। इस बार पूरे पांच साल का ब्यौरा मांगा जा रहा है। उस दौरान का भी दोबारा ब्यौरा मांगा जा रहा है, जिस समय का ऑडिट किया जा चुका है। ऑडिट के लिए मांगे गए इस ब्यौरे को जुटाने में कर्मचारी और अफसरों की पेशानी पर बल पड़ गए हैं।
पहले तो बोर्ड के पास ये जानकारी तक नहीं थी कि किस जिले में किस लेबर इंस्पेक्टर के पास कितना सामान पहुंचा। किसने कितना सामान रीसिव किया। लंबी मशक्कत के बाद ये ब्यौरा जुटाया गया। अब एक एक लाभार्थी का ब्यौरा मांगा जा रहा है, जो बोर्ड के पास नहीं है। जिलों से लेबर इंस्पेक्टरों ने भी लाभार्थियों की संख्या, उनके नाम, पता को लेकर कोई जानकारी बोर्ड मुख्यालय को उपलब्ध नहीं कराई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर 400 करोड़ से अधिक का ये बजट कहां और किस पर खपा दिया गया। बोर्ड सचिव पीसी दुम्का का यही कहना है कि ऑडिट टीम को समय पर पूरा ब्यौरा दे दिया जाएगा।
जल्द रिटायर होने वाले इंस्पेक्टरों की नींद उड़ी
सबसे ज्यादा परेशानी में श्रम विभाग के वो इंस्पेक्टर हैं, जो जल्द रिटायर होने जा रहे हैं। उनके रिटायर होने तक यदि रिसीव किए गए सामान का मिलान लाभार्थियों के नाम के साथ नहीं हो जाता, तो उनकी रिकवरी तक हो सकती है। यूएसनगर के एक इंस्पेक्टर के ऊपर 1800 साइकिलों का भार पड़ा हुआ है। उन्होंने कागजों में तो तीन हजार साइकिल रिसीव की, लेकिन मौके पर उन्हें सिर्फ 1200 ही मिल पाई। अब उन्हें रिसीव की गई 1800 साइकिलों का ब्यौरा देने में पसीने छूट रहे हैं। ऊपर से पूर्व श्रम मंत्री और बोर्ड अध्यक्ष हरक सिंह रावत ने भी दो टूक कहा है कि यदि इस मामले में कोई फंसेगा, तो सामान बांटने वाले लेबर इंस्पेक्टर।
श्रम विभाग के अफसरों ने झाड़ा पल्ला
कर्मकार बोर्ड की गड़बड़ियों, लेबर इंस्पेक्टरों के स्तर पर हुई लापरवाही को लेकर श्रम विभाग ने पूरी तरह पल्ला झाड़ लिया है। लेबर इंस्पेक्टर ने सामान किस आधार पर जनप्रतिनिधियों के हवाले किया। क्यों सामान अपने स्तर पर न बांट कर नेताओं के जरिए बंटवाया। इस पर श्रमायुक्त दीप्ति सिंह का कहना है कि ये मामला श्रम विभाग से जुड़ा नहीं है। ये सीधे तौर पर कर्मकार बोर्ड और लेबर इंस्पेक्टर के बीच का मसला है।