ये हैं त्रिवेंद्र सरकार के साहसिक फैसले, जिन्हें लेने से हिचकी हर सरकार, पीएम मोदी की तरह सख्त फैसले लेने की दिखाई हिम्मत
देहरादून।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का साढ़े तीन का कार्यकाल कई मायनों में ऐतिहासिक है। उन्होंने अपने इस कार्यकाल में ऐसे साहसिक फैसले लिए, जिन्हें लेने से आज तक हर सरकार में हर मुख्यमंत्री डरता रहा। गैरसैंण को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी की तरह पक्ष, विपक्ष सभी को चौंकाते हुए ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का ऐतिाहिसक फैसला लिया। न सिर्फ गैरसैंण को लेकर अपनी लाइन स्पष्ट कर दी, बल्कि उनके इस कदम से गैरसैंण को लेकर राजनीति करने वालों की भी हवा निकाल दी। गैरसैंण को लेकर सीएम त्रिवेंद्र ने एक ऐसी लाइन तय कर दी है कि अब हर सरकार और हर सीएम को इस लाइन से आगे बढ़ कर ही सोचना होगा। उनके इस कदम के उनके विरोधी भी कायल हैं। कई पूर्व सीएम ने भी दबी जुबान और बंद कैमरों के सामने स्वीकारा कि इस गैरसैंण को लेकर सीएम त्रिवेंद्र ने एक बड़ा सियासी और भावनात्मक कदम चल दिया है।
इसी के साथ देवस्थानम बोर्ड के मामले में भी सीएम ने बड़ा साहसिक फैसला लेते हुए इसका गठन किया। जबकि पूर्व सीएम एनडी तिवारी तक सिर्फ इस मसले पर सोचते ही रह गए। पक्ष, विपक्ष से उठे तमाम विरोधों, गतिरोध के बावजूद सीएम त्रिवेंद्र ने कदम पीछे नहीं खींचे। इस फैसले को चारों धामों के लिहाज से बेहद अहम और साहसिक फैसला माना जा रहा है। इस मामले में भी सीएम त्रिवेंद्र ने पीएम नरेंद्र मोदी की तरह साहसिक फैसले लेकर विरोधियों को चौंकाने का सिलसिला जारी रखा है। सीएम आवास, सीएम सचिवालय में बिचौलियों की फौज कहीं नजर नहीं आती। भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जीरो टालरेंस की नीति पर वे साढ़े तीन साल बाद भी अडिग हैं। सत्ता के गलियारों में बिचौलिएं अब नजर नहीं आते।
विकास के क्षेत्र में अटल आयुष्मान योजना में राज्य के सभी परिवारों को 5 लाख रूपए वार्षिक की निशुल्क चिकित्सा सुविधा देने वाला उत्तराखण्ड, देश का पहला राज्य है। अभी 2 लाख 5 हजार मरीजों को योजना में निशुल्क उपचार मिला है। जिस पर 180 करोड़ रूपए से अधिक खर्च किए जा चुके हैं। नेशनल पोर्टेबिलिटी की सुविधा देते हुए देशभर के 22 हजार से अधिक अस्पताल इसमें सूचीबद्ध हैं।