देहरादून
आज दिनांक 20 सिंतबर 2021 को उत्तराखंड क्रांति दल के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ ने देहरादून में एक बैठक का आयोजन किया। बैठक की अध्यक्षता पूर्व विधायक डॉ नारायण सिंह जंतवाल ने की। अपने संबोधन में जंतवाल जी ने यूकेडी में प्रबुद्ध जनों के जुड़ने पर प्रसन्नता व्यक्त की तथा कहा कि हमें उत्तराखंड की मूलभूत समस्याओं को जनता के बीच में ले जाना होगा जिस यूकेडी ने वर्षो संघर्ष कर पृथक राज्य उत्तराखंड का निर्माण कराया आज वहाँ की जनता पुनः यूकेडी की ओर देख रही है। जनता को अब धीरे धीरे समझ मे आ रहा है कि राष्ट्रीय पार्टियों द्वारा राज्य का कोई विकास नहीं अपितु विनाश ही किया।हमारे राज्य से कम साक्षर झारखंड की जनता ने तो पहले ही समझ लिया था कि राज्य का विकास राज्य की पार्टी ही कर सकती है क्योंकि उन्हें अपने राज्य के बारे ने सब पता होता है। कोई दिल्ली में बैठकर राज्य का विकास नहीं कर सकता, जिन राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों की सरकार है वो राज्य तेज़ी से तरक्की कर रहे है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री बी पी रतूड़ी जी ने कहा कि हमें जनता के बीच मे जाकर समझाना होगा कि इन पार्टियों के झूठे वादों जैसे फ्री बिजली, फ्री लैपटॉप आदि के चक्करों न पड़कर बेरोजगारी, शिक्षा, चिकित्सा और भू कानून के बारे में बात करें।
यूकेडी के वरिष्ठ नेता श्री चंद्रशेखर कापड़ी जी ने पार्टी के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी दी तथा कहा कि हमें एकजुट होकर उत्तराखंड को बचाना होगा आज पहाड़ पहाड़ी लोगों के लिये तरस रहा है बाहर से आकर लोग पहाड़ का पहाड़ खरीद रहे है इसे रोकने की बहुत जरूरत है। यूकेडी के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ हरीश चंद्र जोशी ने वर्तमान सरकार द्वारा गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय, पंतनगर को केंद्र सरकार को सौंपने की तैयारी को गलत कदम बताया उन्होंने कहा कि बीजीपी नीत पूर्व सरकार ने राज्य के प्रतिष्ठित हेमवतीनंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय को भी केंद्र को सौंपा था जहाँ पर राज्य के छात्रों को मिलने वाला आरक्षण अब राज्य का न होकर केंद्र का लग रहा है जिसमें स्थानीय छात्रों का एडमिशन कम हो गया है ऐसी स्थिति शिक्षक एवं कर्मचारियों की नियुक्ति में भी हो रही है। अब वर्तमान सरकार एक और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय को बिना सोचे समझे केंद्र को दे रही जिसका यूकेडी पुरजोर विरोध करेंगी।
बैठक में यूकेडी महासचिव श्री बहादुर सिंह रावत, डॉ संजय कुमार पडलिया, डॉ मेहरबान सिंह गुसांई, प्रो बी एस बिष्ट, डॉ संदीप नेगी, डॉ हर्षवर्धन पंत, डॉ महेश कुमार, श्री लखपत सिंह बुटोला, श्री योगेंद्र बाजपेई, श्री चंद्रशेखर पंत, श्री डी डी शर्मा, अनूप पंवार और श्री शेखर सनवाल ने भी अपने विचार व्यक्त किये।