यूपीसीएल एकबार फिर अपनी नाकामियों का बोझ आम जनता पर डालने की तैयारी में, बिजली दरों में दस प्रतिशत इजाफे का प्रस्ताव किया तैयार, 24 दिसंबर की बोर्ड बैठक में फाइनल होगा प्रस्ताव, विद्युत नियामक आयोग करेगा अंतिम फैसला 

0
52

यूपीसीएल एकबार फिर अपनी नाकामियों का बोझ आम जनता पर डालने की तैयारी में, बिजली दरों में दस प्रतिशत इजाफे का प्रस्ताव किया तैयार, 24 दिसंबर की बोर्ड बैठक में फाइनल होगा प्रस्ताव, विद्युत नियामक आयोग करेगा अंतिम फैसला

देहरादून।

यूपीसीएल एकबार फिर अपनी नाकामियों का बोझ आम जनता पर डालने की तैयारी में है। इसके लिए उसने बिजली दरों में दस प्रतिशत इजाफे का प्रस्ताव तैयार किया है। 24 दिसंबर की बोर्ड बैठक में ये प्रस्ताव फाइनल होगा। इसके बाद विद्युत नियामक आयोग इस प्रस्ताव पर अंतिम फैसला लेगा।
24 दिसंबर को बोर्ड बैठक इसी प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए बुलाई गई है। बोर्ड के सभी सदस्य प्रस्ताव को जांच परख कर फाइनल करेंगे। यूपीसीएल के इस प्रस्ताव पर आयोग पूरे राज्य में जन सुनवाई करेगा। आम जनता, उद्योगों, कमर्शियल समेत सभी पक्षों से उनकी आपत्ति व सुझाव लिए जाएंगे। इसके बाद मार्च अंतिम सप्ताह में नई बिजली दरों पर अंतिम मुहर लगेगी। जो एक अप्रैल से लागू हो जाएंगी।
यूपीसीएल की ओर से सालाना सभी खर्चों की जानकारी प्रस्ताव की शक्ल में आयोग को उपलब्ध कराई जाती है। इस खर्चे के ब्यौरे की आयोग की टीम पड़ताल करती है। यूपीसीएल के गैर जरूरी खर्चों और इंजीनियरों की लापरवाही के कारण पड़ने वाले भार का असर आम जनता के ऊपर नहीं डाला जाता। यही वजह है, जो वर्ष 2020-21 के लिए भी आयोग ने यूपीसीएल के 7.70 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव को पूरी तरह नकार दिया था। दरों को बढ़ाने की बजाय उल्टा कई स्तर पर दरों में कमी तक की।
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग बिजली दरों को तय करते समय लगातार जनता का पक्ष अधिक सुन रहा है। यूपीसीएल को लगातार झटके दिए जा रहे हैं। यही वजह है, जो 2018-19 में नियामक आयोग ने घरेलू बिजली उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कोई फेरबदल नहीं किया। यही स्थिति 2019-20 में भी रही। उल्टा इस वर्ष मौजूदा दरों में ही और अधिक कटौती कर दी गई थी। इसका लाभ राज्य के घरेलू और औद्योगिक श्रेणी के बिजली उपभोक्ताओं को दरों में कटौती के रूप में मिला था।

900 करोड़ की बिजली चोरी को यूपीसीएल जिम्मेदार
राज्य में यदि बिजली चोरी पूरी तरह रुक जाए, तो बिजली दरें महंगी होने की बजाय लगातार सस्ती होती चली जाएं। राज्य में सालाना लाइन लॉस से ऊर्जा निगम को 900 करोड़ का नुकसान होता है। यदि ये साढ़े 13 प्रतिशत लाइन लॉस समाप्त हो जाए, राज्य में बिजली दरें निचले स्तर पर आ सकती हैं। यूपीसीएल के इंजीनियरों की मिलीभगत और फर्नेश कंपनियों पर मेहरबानी के चलते हर साल 900 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है। न तो फर्नेश के उद्योगों में बिजली चोरी रोकी जा रही है। न ही इन उद्योगों से समय से बिल वसूला जाता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here