यूपीसीएल में आईएएस एमडी का खौफ, फर्जी इस्टीमेटों पर लगी रोक, अब हर काम के हर चरण की करानी होगी फोटोग्राफी, तभी होगा भुगतान, सख्ती के बाद डिवीजनों से आने वाले इस्टीमेटों में 70 प्रतिशत की आई कमी
देहरादून।
यूपीसीएल में आईएएस एमडी का खौफ नजर आ रहा है। अब निगम में फर्जी इस्टीमेट पर रोक लग गई है। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर महीने आने वाले इस्टीमेट में 70 प्रतिशत तक की कमी आ गई है। अब आंख बंद कर इस्टीमेट और कार्यों के भुगतान नहीं होंगे। कार्यों को लेकर भले ही निचले स्तर पर एक्सईएन से लेकर चीफ तक की पॉवर बढ़ा दी गई है, लेकिन उसी के साथ मॉनीटरिंग भी सख्त कर दी गई है। अब हर काम के हर चरण की फोटोग्राफी करानी होगी। उसी के बाद भुगतान होगा।
अभी तक यूपीसीएल मुख्यालय में डिवीजनों से हर महीने ताबड़तोड़ सैकड़ों इस्टीमेट आते थे। कहीं ट्रांसफार्मर खराब, तो कहीं लाइन बढ़नी, कहीं खराबी को दूर करने के नाम पर बड़ी संख्या में इस्टीमेट भेजे जाते थे। जिस तेजी से ये इस्टीमेट आते थे, उसी तेजी के साथ इनके बिलों के भुगतान भी होते थे। हमेशा ये इस्टीमेट और इनके भुगतान की प्रक्रिया सवालों के घेरे में रही।
इसी व्यवस्था को पटरी पर लाने को एमडी नीरज खैरवाल ने एक पारदर्शी व्यवस्था बनाई है। इसके तहत जो भी इस्टीमेट पास होंगे, उनका काम शुरू होने से पहले, बीच में और काम पूरा होने के बाद फोटो लिया जाएगा। ताकि फर्जीवाड़े की कोई गुंजाइश ही न रहे। पहले यूपीसीएल में हर महीने से 100 के करीब इस्टीमेट मंजूर होने को आते थे। अब 30 प्रतिशत भी इस्टीमेट मंजूरी को नहीं आ रहे हैं। ये आंकड़े साफ इशारा कर रहे हैं कि पहले किस तरह हवाई इस्टीमेट मंजूरी को आते थे।
55 लाख का हो चुका है घपला
हरिद्वार में पांच साल पहले एक बिजली लाइन के नाम पर 55 लाख का घपला हो चुका है। एक लाइन बिछाने के नाम पर 55 लाख लिए गए। लेकिन वो पैसा निगम के खाते में जमा नहीं हुआ। बाद में खुलासा हुआ, तो आनन फानन में पैसा जमा कराया गया। इस मामले में जांच बैठी, जो आज तक पूरी नहीं हो पाई है।
यूएसनगर, हल्द्वानी, दून में सबसे अधिक खेल
फर्जी इस्टीमेट के सबसे अधिक मामले यूएसनगर, हल्द्वानी, देहरादून, हरिद्वार में सामने आते हैं। यहां कई जगह बिल्डरों की बिछाई लाइन को अपना इस्टीमेट बता कर इस्टीमेट मंजूर करा कर भुगतान करा लिया जाता है। वहीं दूसरी ओर बिल्डर से भी पैसा ले लिया जाता है। इन्हीं तरह के आरोपों की शिकायतों को लेकर जनहित याचिका भी दायर हो चुकी है। इसकी डिवीजनवार जांच चल रही है।
एक पारदर्शी व्यवस्था बनाई जा रही है। फील्ड में होने वाले कार्यों की फोटोग्राफी कराई जाएगी। शुरुआत से लेकर अंत तक हर चरण के कार्यों की पहले फोटो ली जाएगी। ताकि पता चल सके कि मौके पर काम किस तरह का हुआ है।
डा. नीरज खैरवाल, एमडी यूपीसीएल