उपनल कर्मचारियों का सवाल, नियमितीकरण के हाईकोर्ट के आदेश खिलाफ सुप्रीम कोर्ट क्यों गई सरकार, हाईकोर्ट के समान काम का समान वेतन देने का भी आदेश लागू न करने पर भी उठाए सवाल, सरकार को दिया तीन सप्ताह का समय
देहरादून।
उपनल कर्मचारियों ने सवाल उठाया कि उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण के हाईकोर्ट के आदेश खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट क्यों गई। उत्तराखंड उपनल कर्मचारी संघ ने सरकार के हाईकोर्ट के समान काम का समान वेतन देने का भी आदेश लागू न करने पर भी सवाल उठाए।
उत्तराखंड उपनल संविदा कर्मचारी संघ की बैठक में कर्मचारियों को नियमितीकरण का लाभ न दिए जाने पर नाराजगी जताई गई। हाईकोर्ट के उपनल कर्मचारियों को नियमितीकरण और नियमितीकरण होने तक समान काम का समान वेतन देने के आदेश हो चुके हैं। संघ ने इन आदेशों को सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का भी विरोध किया। सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में भी इस मसले पर जल्द सुनवाई कराने के प्रयास न किए जाने पर भी रोष प्रकट किया गया।
संघ की ऑनलाइन बैठक में प्रदेश और जिला कार्यकारिणी के पदाधिकारी भी जुटे। प्रदेश महामंत्री मनोज जोशी ने कहा कि हाईकोर्ट दो साल पहले 18 हजार उपनल कर्मचारियों को नियमित करते हुए समान कार्य का समान वेतन देने का आदेश कर चुकी है। सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। एक साल पहले सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की थी। अभी तक जल्द सुनवाई का प्रयास नहीं किया जा रहा है। इससे साफ नजर आ रहा है कि सरकार उपनल कर्मचारियों के भविष्य को अंधकार में धकेलने के हर संभव प्रयास कर रही है। यदि सरकार जल्द संघ से वार्ता कर कोई राहत नहीं देती, तो आंदोलन तय है।
प्रदेश अध्यक्ष रमेश शर्मा ने कहा कि उत्तराखंड उपनल संविदा कर्मचारी संघ कर्मचारियों के सुरक्षित भविष्य को नियमावली बनाने की मांग करता है। इसके लिए मुख्यमंत्री कार्यालय को तीन सप्ताह लगातार पत्र भेजा जाएगा। यदि इसके बाद भी उपनल कर्मचारियों के सुरक्षित भविष्य को लेकर वार्ता का समय नहीं देते, तो इस कोरोना काल में उपनल कर्मचारी सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे। आंदोलन को लेकर व्यापक रणनीति तैयार की जा रही है।
जिला अध्यक्ष देहरादून प्रमोद गुसाईं ने कहा कि राज्य में उपनल के माध्यम से हजारों महिला कर्मचारी कार्यरत हैं। इन्हें भी चाइल्ड केयर लीव का लाभ मिलना चाहिए। इसके लिए कई बार संघ ने शासन के उच्चाधिकारियों को हाईकोर्ट के फैसले से अवगत कराया है। बार बार अनुरोध करने के बाद भी उपनल की महिला कर्मचारियों के साथ साथ उनके बच्चों से भी भेदभाव किया जा रहा है। जो कि र्दुभाग्यपूर्ण है। इससे साफ है कि सरकार जानबूझ कर उपनल कर्मचारियों को आंदोलन के लिए मजबूर कर रही है। बैठक में गणेश गोस्वामी, पूरन भट्ट, तेजा बिष्ट, विनोद बिष्ट, प्रवीण पांडे, राकेश पांडे, मनोज गढ़गोटी, त्रिभुवन बसेरा, प्रकाश उपाध्याय, पवन डूंगरिया, अचल वर्मा, मनोज कुमार, शैलेंद्र रावत, शीशपाल राणा, ललित उपाध्याय आदि मौजूद रहे।