जल संस्थान की वरिष्ठता सूची पर बवाल, विवादों में वरिष्ठता सूची, 2018 में बीटेक करने वाले को 2009 से बनाया असिस्टेंट इंजीनियर, शासन के एक अफसर की भूमिका सवालों के घेरे में, कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में विभागीय इंजीनियर, चार होंगे रिवर्ट 

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जल संस्थान की वरिष्ठता सूची पर बवाल, विवादों में वरिष्ठता सूची, 2018 में बीटेक करने वाले को 2009 से बनाया असिस्टेंट इंजीनियर, शासन के एक अफसर की भूमिका सवालों के घेरे में, कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में विभागीय इंजीनियर, चार होंगे रिवर्ट

देहरादून।

जल संस्थान के सहायक अभियंताओं की वरिष्ठता सूची जारी कर दी गई है। इसे लेकर भी तमाम सवाल उठ रहे हैं। वरिष्ठता निर्धारण विवादों में है। इस वरिष्ठता सूची को न्यायालय में चुनौती देने की तैयारी हो रही है। शासन पर नियमों के विपरीत जाकर वरिष्ठता निर्धारण के आरोप लग रहे हैं।
सबसे अधिक विवाद वरिष्ठता सूची में नंबर दो पर रखे गए सहायक अभियंता मदन सेन को लेकर उठ रहा है। उन्हें 2009 से सहायक अभियंता पदनाम का लाभ दिया गया है। जबकि उस दौरान वो नियमित जूनियर इंजीनियर रहे। उन्होंने पत्राचार से बीटेक किया था। इस डिग्री को सुप्रीम कोर्ट ने 2005 के बाद से अमान्य घोषित कर दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने तीन नवंबर 2017 को आदेश दिया कि 2005 के बाद पत्राचार से बीटेक करने वालों को एक मौका दिया जाता है। उन्हें एआईसीटीई और यूजीसी की परीक्षा पास करनी होगी। परीक्षा पास करने वालों की ही डिग्री को वैध माना जाएगा।
मदन सेन ने दिसंबर 2018 में परीक्षा पास की। 18 मार्च 2019 को सुप्रीम कोर्ट के तीन नवंबर 2017 के आदेश के क्रम में उत्तरखंड हाईकोर्ट ने निर्णय दिया कि एआईसीटीई और यूजीसी से परीक्षा पास करने के बाद ही सम्बन्धित व्यक्ति को डिग्री का लाभ दिया जाएगा। इस लिहाज से मदन सेन को सहायक अभियंता पद पर वरिष्ठता का लाभ 2019 से मिलना था। जबकि शासन ने 2009 से सहायक अभियंता पद पर वरिष्ठता का लाभ देने का आदेश कर दिया। इस पर विवाद खड़ा हो गया है।

चार इंजीनियर होंगे रिवर्ट
नई वरिष्ठता सूची के आधार पर चार अधिशासी अभियंता रिवर्ट भी होंगे। वे अब सहायक अभियंता के पद पर आ जाएंगे। ये चारों इंजीनियर भी कोर्ट जाने की तैयारी में हैं।

कई की वरिष्ठता हुई प्रभावित
नई वरिष्ठता सूची में बड़ी संख्या में इंजीनियरों की वरिष्ठता भी प्रभावित हुई है। शासन ने महिला कोटे में बाद में नियुक्ति पाने वालों को भी 2011 बैच के सीधी भर्ती के मेरिट के इंजीनियरों से ऊपर रखा है। इसका आधार 2013 में महिला कोटे में भर्ती होने वाले इंजीनियरों के नंबरों को बताया जा रहा है। इस कारण बड़ी संख्या में इंजीनियरों की वरिष्ठता बदल गई है।

शासन ने वरिष्ठता सूची कार्मिक, न्याय की राय से ही जारी की है। यदि किसी को कोई भी आपत्ति है, तो वो कोर्ट जाने के लिए स्वतंत्र है। कोई भी व्यक्ति कोर्ट जा सकता है।
जीबी औली, अपर सचिव पेयजल

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