उत्तराखंड में अब नहीं है अफसरों के भरोसे चलने वाली सरकार, सीएम खुद संभाल रहे हैं हर कठिन मोर्चे पर कमान, साल में लगातार दूसरी बार सीएम धामी ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से सीधी बात कर उत्तराखंड को बिजली संकट से दिलाई निजात, पॉवर सेक्टर में उत्तराखंड को बड़ी सौगात दिलाने में कामयाब में रहे सीएम धामी

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देहरादून।

उत्तराखंड की लगभग हर सरकार पर अफसरशाही के हावी होने के आरोप लगते रहे हैं। यहां तक की इस तोहमत से दिग्गज एनडी तिवारी तक नहीं बच सके। उनके राज में भी कई नौकरशाह अपनी नाक पर मक्खी नहीं बैठने देते थे। आम जन तो दूर नेताओं तक की इन अफसरों के आगे घिघ्घी बंधी रहती थी। धामी सरकार ने पिछले 22 साल के इस मिथक को भी पूरी तरह बदल कर रख दिया है। ये पहला मौका है, जब अफसरशाही पर सीएम हावी हैं। बड़े मौकों को सीएम अफसरों के भरोसे नहीं छोड़ रहे, बल्कि खुद आगे बढ़ कर कमान संभाल रहे हैं। सोमवार को भी सीधे केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह से मुलाकात कर राज्य को अक्तूबर में खड़े होने वाले बड़े बिजली संकट से निजात दिलाई।
अभी तक ऐसे मौकों पर यूपीसीएल के अफसर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की खाक छानते रहते थे। बहुत अधिक तवज्जो नहीं मिलती थी। राज्य को केंद्रीय पूल से अतिरिक्त कोटा कभी नहीं मिलता था। सीएम धामी ने कमान संभालने के बाद इस धारणा को भी पूरी तरह बदल कर रख दिया। अब न सिर्फ सेंट्रल पूल की बिजली नियमित रूप से समय पर मिल रही है, बल्कि 300 से 400 मेगावाट तक का अतिरिक्त बिजली कोटा भी मिल रहा है। सीएम धामी ने पहले फरवरी 2023 में सीधे केंद्रीय मंत्री से बात कर सितंबर 2023 तक अतिरिक्त बिजली का कोटा सुरक्षित कराया। अब दोबारा अक्तूबर 2023 से 400 मेगावाट बिजली का कोटा सुनिश्चित करा लिया है।
जहां इस अतिरिक्त कोटे के लिए देश के बड़े बड़े राज्य केंद्र सरकार की घेरेबंदी की तैयारी में अभी जुटने की तैयारी कर ही रहे थे, सीएम धामी ने बाजी मारते हुए उत्तराखंड के हित सुरक्षित कर लिए। केंद्र के हर मंत्रालय से उत्तराखंड को मिल रही विशेष तवज्जो भी केंद्र में सीएम पुष्कर धामी के बढ़ते कद की तस्दीक कर रही है। इसका उत्तराखंड को भरपूर लाभ मिल रहा है।

केंद्र में यूपीसीएल के अफसरों की भी बढ़ी पूछ
पहले यूपीसीएल के अफसर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय जाते थे, तो उनकी ज्यादा पूछ नहीं होती थी। एक टेबल से दूसरी टेबल उन्हें चक्कर कटवाए जाते थे। सीएम धामी के कमान संभालने के बाद अब तस्वीर काफी बदल गई है। यूपीसीएल के एक अफसर ने बताया कि अब राज्य की ओर से भेजे जाने वाले हर पत्र को न सिर्फ तवज्जो दी जाती है, बल्कि उस पर काम भी होता है। अब उत्तराखंड से जुड़ी फाइलों पर तेजी से काम होता है। हर योजना में तवज्जो मिलती है। सीएम धामी की मार्च में केंद्रीय मंत्री से हुई मुलाकात का ही असर था, जो अप्रैल में ही सेंट्रल एनर्जी अथॉरिटी की टीम ने उत्तराखंड का दौरा किया। यहां की ऊर्जा जरूरतों और मौजूदा स्थिति का आंकलन कर रिपोर्ट दी। अपनी रिपोर्ट में साफ किया कि राज्य की ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित रखने को बेस पॉवर लोड को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है।

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