जल संस्थान कर्मचारियों को पीएफ के नाम पर बड़ा नुकसान, सेविंग में जमा हो रहा पीएफ का पैसा, साढ़े आठ प्रतिशत ब्याज की जगह मिल रहा सिर्फ 2.7 प्रतिशत का लाभ 

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जल संस्थान कर्मचारियों को पीएफ के नाम पर बड़ा नुकसान, सेविंग में जमा हो रहा पीएफ का पैसा, साढ़े आठ प्रतिशत ब्याज की जगह मिल रहा सिर्फ 2.7 प्रतिशत का लाभ

देहरादून।

जल संस्थान कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड के नाम पर सालों से बड़ा गोलमाल चल रहा है। हर महीने कर्मचारियों के वेतन से पीएफ मद में पैसा काट कर सेविंग खाते में जमा हो रहा है। कुछ मामलों में कर्मचारियों की एफडी कराई जा रही है। सेविंग खाते में कर्मचारियों को 2.7 प्रतिशत ब्याज मिल रहा है। जबकि पीएफ में 8.5 प्रतिशत ब्याज मिलता। एफडी कराने में दोहरा नुकसान हो रहा है।
एफडी पर कर्मचारियों को पीएफ के 8.5 प्रतिशत ब्याज की बजाय सिर्फ 4.9 प्रतिशत ब्याज मिल रहा है। उसमें भी इनकम टैक्स अलग से कट रहा है। इससे कर्मचारियों को दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है। जिस पीएफ पर उन्हें अधिक ब्याज के साथ इनकम टैक्स में छूट का लाभ मिलना था। उसी पीएफ पर उन्हें कम ब्याज के साथ एफडी पर इनकम टैक्स भी देना पड़ रहा है। इसके खिलाफ कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।
जल संस्थान में पीएफ मद में चल रही ये गड़बड़ी सीधे तौर पर प्रोविडेंट फंड एक्ट का उल्लंघन है। ईपीएफओ के कमिश्नर मनोज यादव ने बताया कि इस तरह की गड़बड़ियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एक्ट के स्पष्ट प्रावधान हैं कि कर्मचारियों के पीएफ से काटा जाने वाला पैसा पीएफ एकाउंट में ही जमा हो। उसे सेविंग खाते में जमा नहीं किया जा सकता। उस पर एफडी करना पूरी तरह अवैध है। पीएफ एक्ट के नियमों का पालन करना अनिवार्य है। समय रहते यदि कदम नहीं उठाया गया, बड़ा वित्तीय नुकसान होगा। जल संस्थान से पूरा ब्यौरा तलब किया जाएगा।
एसके शर्मा, सीजीएम जल संस्थान के अनुसार जल संस्थान सरकारी विभाग नहीं है। ऐसे में सालों से यही व्यवस्था चली आ रही है। पैसा खाते में डाला जा रहा है। कर्मचारी की सहमति के बाद ही उसकी एफडी कराई जाती है।

कर्मचारियों ने भी जताया विरोध
गजेंद्र कपिल, महामंत्री जल संस्थान कर्मचारी संघ के अनुसार पीएफ के पैसे को सेविंग खाते में डालने से कर्मचारियों को नुकसान हो रहा है। प्रबंधन को विकल्प दिया गया था कि पीएफ के पैसे को सेविंग खाते की जगह पीपीएफ एकाउंट में डाला जाए। ताकि इनकम टैक्स छूट मिलने के साथ ही अधिक ब्याज का लाभ मिले। इसके बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई। इससे कर्मचारियों को बड़ा वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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