उत्तराखंड सचिवालय संघ की मांग, एनपीएस वाले पेंशनर्स से न लिया जाए अटल आयुष्मान योजना में अंशदान, गोल्डन कार्ड को अस्पतालों में एटीएम कार्ड के रूप में किया जाए स्वीकार, आश्रितों की आयु सीमा भी बढ़े
देहरादून।
उत्तराखंड सचिवालय संघ ने कहा कि एनपीएस वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद बिना अंशदान के ही स्वास्थ्य सुविधाओं का कैशलेस इलाज दिया जाए। ओपीडी को भी कैशलेस इलाज की श्रेणी में लाया जाए। बड़े अस्पतालों के साथ ही छोटे अस्पताल, नर्सिंग होम को भी शामिल किया जाए। संघ की ओर से इसकी जिलावार इनकी सूची भी भेजी गई है। दंत, नेत्र चिकित्सा समेत सभी सुविधाएं दी जाएं।
अटल आयुष्मान योजना की खामियों को गिनाते हुए लिखित में शासन को सुझाव सौंपे। शासन स्तर पर पूर्व में हुई वार्ता में लिखित में सुझाव मांगे गए थे। इस पर दिए गए सुझावों में योजना को कर्मचारियों के लिए अधिक असरदार बनाने पर जोर दिया गया। सुविधाएं बढ़ाए जाने की मांग की गई। इसके लिए नियमों को सरल बनाने की मांग हुई।
अपर सचिव चिकित्सा शिक्षा को भेजे सुझाव में संघ अध्यक्ष दीपक जोशी और महासचिव विमल जोशी ने बताया कि सभी राजकीय कर्मचारी, पेंशनर्स को पूर्ण स्वास्थ्य लाभ दिया जाए। प्रदेश के भीतर और बाहर विशेषज्ञता, प्रतिष्ठित अस्पताल, संस्थानों को महज बीमारी के वर्गीकरण के आधार पर चिन्हित न करते हुए पूरे अस्पताल को चिन्हित किया जाए। जो भी गोल्डन कार्ड कर्मचारियों को दिए जा रहे हैं, उनका इस्तेमाल अस्तालों में एटीएम कार्ड के रूप में होना चाहिए। जो अंशदान लिया जा रहा है, उसी अनुरूप सुविधाएं भी दी जाएं।
परिवार के आश्रित की श्रेणी में 25 वर्ष की आयु सीमा तक के पुत्र, पुत्री की आयु सीमा को समाप्त किया जाए। उसके स्थान पर स्वयं के परिवार पर आश्रित न रहने तक की समय सीमा निर्धारित की जाए। पेंशनर्स से अंशदान पचास प्रतिशत कम लिया जाए। अस्पताल की ओर से सरकार के साथ हुए एमओयू की शर्तों का उल्लंघन होने पर कड़ी कार्रवाई, अर्थदंड का प्रावधान किया जाए। अंशदान की राशि को अफसर, कर्मचारियों, पेंशनर्स के स्वास्थ्य की सुविधा से हट कर किसी अन्य योजना, मद में समायोजित न किया जाए।