नमामि गंगे की गड़बड़ियों की विजिलेंस जांच, जांच अधिकारी आईएएस नीरज खैरवाल ने विजिलेंस से जांच कराने की दी रिपोर्ट, पूर्व एमडी जल निगम भजन सिंह के खिलाफ शासन ने जांच के दिए थे आदेश 

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नमामि गंगे की गड़बड़ियों की विजिलेंस जांच, जांच अधिकारी आईएएस नीरज खैरवाल ने विजिलेंस से जांच कराने की दी रिपोर्ट, पूर्व एमडी जल निगम भजन सिंह के खिलाफ शासन ने जांच के दिए थे आदेश

देहरादून।

नमामि गंगे परियोजना में हुई गड़बड़ियों की विजिलेंस जांच की संस्तुति की गई है। जांच अधिकारी आईएएस नीरज खैरवाल ने अपनी रिपोर्ट में इस मसले को बेहद तकनीकी बताते हुए विजिलेंस जांच की संस्तुति की। इस पर पूरे प्रकरण को विजिलेंस जांच के लिए सतर्कता विभाग को भेज दिया गया है।
नमामि गंगे परियोजना के टेंडर और कार्यों में गड़बड़ी के आरोप लगे थे। इस मामले में शासन ने पूर्व एमडी भजन सिंह के खिलाफ जांच बैठा दी थी। जांच का जिम्मा आईएएस नीरज खैरवाल को दी गई। उन्होंने भी लंबे समय तक जांच पड़ताल की। सहयोग के लिए वित्त के एक्सपर्ट का भी सहारा लिया गया। अंत में जो रिपोर्ट भेजी गई, उसमें कई गड़बड़ियों की ओर इशारा किया गया। साथ ही पूरे प्रकरण की विजिलेंस जांच कराए जाने की संस्तुति की गई।
इस पूरे मामले में कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। हाईकोर्ट में पीआईएल तक दाखिल हुईं थीं। वित्तीय गड़बड़ियों के साथ टेंडर में तकनीकी खामियां भी गिनाई गईं। एल वन कंपनी के काम छोड़ने पर एल टू कंपनी को अधिक रेट पर काम देने की शिकायतें सामने आईं। जबकि नियमानुसार कम रेट पर काम होना था। फंड के दुरुपयोग के आरोप लगे। इन तमाम आरोपों पर अब गेंद विजिलेंस के पाले में है। पेयजल विभाग के स्तर से खैरवाल रिपोर्ट सतर्कता विभाग को भेज दी गई है।

एमडी को छोड़ बाकि बाहर
नमामि गंगे प्रकरण में जांच सिर्फ पूर्व एमडी की हो रही है। जबकि इस काम से जुड़े अन्य लोगों की भूमिका पर कोई बात नहीं हो रही है। जबकि एमडी की भूमिका सिर्फ निगरानी और बड़े टेंडरों तक सीमित रहती है। निचले स्तर पर अफसरों की भूमिका पर कोई सवाल तक नहीं उठाए गए। न ही वे जांच पड़ताल के दायरे में आए।

नमामि गंगे के कार्यों की जांच का जिम्मा आईएएस नीरज खैरवाल को दिया गया था। उन्होंने अपनी रिपोर्ट दे दी है। रिपोर्ट में विजिलेंस जांच की संस्तुति की गई है। ऐसे में इस पूरे प्रकरण को सतर्कता विभाग को भेज दिया गया है। अब आगे की कार्रवाई का फैसला विजिलेंस विभाग को करना है।
नितेश झा, सचिव पेयजल

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