आखिर क्यों बदले जाएं त्रिवेंद्र रावत , क्या इसलिए कि उन्होंने भृष्टाचार कम किया या बाहरी लुटेरो की दुकानें बंद की, सचिवालय में खत्म की दलालों की फ़ौज
देहरादून।
आज उत्तराखण्ड गर्म है शायद वहाँ सर्दी चली गयी , आज हर ओर मुख्यमंत्री बदलवाने की दुकानें सजी थी , शायद जब उत्तराखंड बना तब हमारे शहीदो ओर माताओ ने ये नही सोचा था कि जिस राज्ये को बनाने के लिए उन्होंने संघर्ष किया है वहाँ बाहरी लुटेरे आकर लूट करेंगे और हमारे लोग तमाशा देखेंगे,काश हर बार राज्ये में इस तरह से दुकाने न सजती तो हम भी बोहत आगे निकल गए होते , आखिर क्यों आज इस तरह की हवा चली क्या किसी का भी दिल्ली से आना ये संकेत है कि मुख्यमंत्री बदलेगा , आखिर क्यों बदले जाए त्रिवेंद्र रावत , क्या इसलिए कि उन्होंने भ्रस्टाचार कम कर दिया या बाहरी लुटेरो की दुकान बंद करदी या यूं कहें कि चंद लोगो की जो भीड़ सचिवालय में दलाली करने की दलालो की फ़ौज खत्म करदी , इसलिए मुख्यमंत्री बदल दे , या गैरसैण को राजधानी बना दी , इसलिए मुख्यमंत्री बदला जाए या सादगी गलत है हर ओर झुटे वादे ओर बाते होनी चाहिए , इसलिए मुख्यमंत्री बदला जाए , आखिर दलालो का प्रवेश खोल दिया जाए उत्तराखंड को लूटने दिया जाए सायद तब सबको सही लगेगा , ये जो मुख्यमंत्री बदलने की दुकान है ये चंद दलालो की है आखिर क्या जनता ने कोई मांग की है या कोई बड़ा घोटाला सामने आया हो , ये अलग है कि कुछ नासमझ अधिकारी गलती कर रहे है तो उनको हटाने की जगह सीधा निसाना मुख्यमंत्री क्यों ? क्या उन अधिकारियों की जांच की मांग नही होनी चाहिए कि कही वो ही तो ये खेल नही खेल रहे , आखिर ऐसा ईमानदार मुख्यमंत्री जिस पर कोई आरोप नही है जिसको जनता भी सज्जन ओर ईमानदार कहती हो जिसको माताओ ओर बेटियों की चिंता हो , जिसको यहाँ के युवाओं का दर्द हो , उसको इन चंद गलत अधिकारियों और दलालो की भेट नही चढ़ने दिया जाना चाहिए , उत्तराखंड के वो चिंतक और लोग जो वास्तव में उत्तराखंड का हित चाहते है उनको आगे आना चाहिए , नही तो चंद बाहरी लोग जो आजकल परेशान है वो वापस आकर राज़ करेंगे और आप सब तमाशा देखेंगे।