पूर्व सीएम हरीश रावत ने कर्मकार बोर्ड को लेकर सरकार को घेरा, कहा सरकार के जीरो टालरेंस की है अब परीक्षा, कर्मकार बोर्ड की गड़बड़ियों को लेकर तथ्य चीख चीख कर बोल रहे हैं, एनएच 74, लोकायुक्त की परीक्षा में पहले ही फेल हो चुकी है सरकार
देहरादून।
उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार बोर्ड की गड़बड़ियों पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि ये प्रकरण पूरी सरकार के जीरो टालरेंस की परीक्षा है। बोर्ड के पूरे कामाकाज की गड़बड़ियों पर तथ्य चीख चीख कर बोल रहे हैं। अब जीरो टालरेंस का हल्ला मचाने वाली सरकार इस मामले में पास होती है या फेल, ये देखना होगा। क्योंकि सरकार पहले ही जीरो टालरेंस के मामले में एनएच 74, लोकायुक्त की परीक्षा में फेल हो चुकी है।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने अपने आवास पर मीडिया से बातचीत में कहा कि वे कर्मकार बोर्ड के मामले में अंतिम बार अपनी बात कह रहे हैं। क्योंकि अब इस मामले में कहने के लिए कुछ नहीं है। सब कुछ साफ है। एक एक तथ्य सामने आ चुका है। ऐसे में अब कहने को नहीं, बल्कि सरकार के लिए करने को है। श्रम मंत्री हरक सिंह रावत के कांग्रेस सरकार में कर्मकार बोर्ड में कुछ काम न होने और सिर्फ पैसा एकत्र करने के आरोप पर भी पूर्व सीएम ने पलटवार किया। कहा कि हमारी सरकार ने ही श्रमिकों के कल्याण को लेकर पैसा जुटाने की व्यवस्था बनाई।
श्रमिकों को लाभ पहुंचाने को मेले लगाए। असल श्रमिकों तक लाभ भी पहुंचाया। पंजीकरण की एक व्यवस्था बनाई। सुविधाएं दी। ऐसा नहीं किया, जैसा की आज हो रहा है। बोर्ड के खाते में 180 करोड़ भी छोड़े। कहा कि बोर्ड एक्ट के अनुसार नियम श्रमिकों के कल्याण का है, न कि दूसरों के कल्याण का। कहा कि हमारी कला श्रमिकों के हित में पैसा जुटाने की रही और इनकी कला पैसा लुटाने की है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि इस मसले पर ये उनका आखिरी बयान है। अब उन्होंने इस मसले को विपक्ष के नेताओं के हवाले कर दिया है। अब वे इस मसले को उठाए।