कर्मकार बोर्ड ने श्रमिकों के पैसे से खरीदे 11.59 करोड़ की नैपकिन, साइकिल, सिलाई मशीन, टूल किट पर 73.10 करोड़ खर्च, कंबल, छातों पर भी 10.61 करोड़, 23.63 करोड़ की सोलर लाइट, निधन, शादी, गर्भवती महिलाओं के नाम पर 92 करोड़ से ज्यादा का हुआ खर्च, कर्मकार बोर्ड की पूर्व सचिव दमयंती से मांगा खर्च हुए 287 करोड़ का हिसाब

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कर्मकार बोर्ड ने श्रमिकों के पैसे से खरीदे 11.59 करोड़ की नैपकिन, साइकिल, सिलाई मशीन, टूल किट पर 73.10 करोड़ खर्च, कंबल, छातों पर भी 10.61 करोड़, 23.63 करोड़ की सोलर लाइट, निधन, शादी, गर्भवती महिलाओं के नाम पर 92 करोड़ से ज्यादा का हुआ खर्च, कर्मकार बोर्ड की पूर्व सचिव दमयंती से मांगा खर्च हुए 287 करोड़ का हिसाब

देहरादून।

कर्मकार बोर्ड ने श्रमिकों के पैसे से खरीदे 11.59 करोड़ की नैपकिन, साइकिल, सिलाई मशीन, टूल किट पर 73.10 करोड़ खर्च किए। कंबल, छातों पर भी 10.61 करोड़, 23.63 करोड़ की सोलर लाइट, निधन, शादी, गर्भवती महिलाओं के नाम पर 92 करोड़ से ज्यादा का खर्च किया। कर्मकार बोर्ड की पूर्व सचिव दमयंती से अब 287 करोड़ का हिसाब मांगा जा रहा है।
उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पिछले तीन सालों में हुए खर्च पर ऑडिट ने गंभीर सवाल उठाए हैं। जिस तरह बोर्ड ने दो साल में 11.59 करोड़ के अकेले सेनेट्री नैपकिन ही खरीद डाले। अब ऑडिट में इन तमाम खरीद पर सवाल उठाए गए हैं, तो इसका जवाब नहीं मिल रहा है। ऐसे में मौजूदा बोर्ड ने पूर्व सचिव दमयंती रावत से ब्यौरा देने को कहा है। पूछा गया है कि किन मंजूरियों के आधार पर ये बजट खर्च हुआ। इतना ही नहीं श्रमिकों के निधन, पुत्रियों के विवाह, गर्भवती महिलाओं को दिए जाने वाले मद में भी 92 करोड़ समेत कुल 287 करोड़ का बजट खर्च हुआ है।
उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में 2017 से 2020 तक हुए खर्चों का खुलासा सूचना के अधिकार में हुआ। स्वयं बोर्ड के स्तर से प्रमाणित रूप में तीन साल के खर्च का ब्यौरा दिया गया। इसमें बताया गया कि 2019 में एक करोड़ और अकेले 2020 में ही 10.59 करोड़ के सेनेट्री नैपकिन पैड खरीदे गए। एक साल में 10.59 करोड़ की सेनेट्री नैपकिन खरीद सवालों के घेरे में है। श्रमिकों के निधन के बाद आश्रितों को मिलने वाली सहायता मद में 33.93 करोड़ रुपये का बजट खर्च हुआ। श्रमिकों की बेटियों को शादी में दिए जाने वाले मद में 58.34 करोड़ दिए गए। गर्भवती महिलाओं को 99.61 लाख का बजट जारी हुआ। अब इन तमाम खर्चों को लेकर ऑडिट ने सवाल उठाए हैं।

साइकिल, सिलाई मशीन, टूल किट पर 73.10 करोड़ खर्च
तीन सालों में साइकिल, सिलाई मशीन, टूल किट पर ही 73.10 करोड़ खर्च रुपये खर्च किए। टूल किट 26.76 करोड़, साइकिल पर 18.48 करोड़ का बजट खर्च हुआ। 27.86 करोड़ का बजट सिलाई मशीन पर खर्च हुआ।

शिक्षा, स्किल डेवलपमेंट पर 70.80 करोड़, कोरोना वर्ष में भी 32 करोड़ खर्च
श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट पर ही अकेले 70.80 करोड़ से अधिक का बजट इन तीन सालों में खर्च किया। इसमें शिक्षा पर 10.85 करोड़ खर्च हुए। स्किल डेवलपमेंट के नाम पर 59.95 करोड़ खर्चे। 32 करोड़ का बजट तो वर्ष 2020 में ही खर्च हुआ। जबकि 22 मार्च के बाद से कोरोना के कारण लॉकडाउन शुरू गया था। तमाम शिक्षण संस्थानों, कोचिंग सेंटर को खोलने पर प्रतिबंध रहा। स्किल डेवलपमेंट के नाम पर ट्रेनिंग कराने के लिए कहने को चार एजेंसियों का चयन हुआ। हालांकि अधिकतर काम एक ही कंपनी को मिला। इस मामले में हाईकोर्ट में भी एक पीआईएल दर्ज है।

कंबल, छातों पर भी 10.61 करोड़
कंबल के नाम पर 6.71 करोड़ का बजट खर्च हुआ है। श्रमिकों के छातों के लिए बोर्ड के खाते से 3.90 करोड़ का बजट खर्च किया गया।

23.63 करोड़ की सोलर लाइट
श्रमिकों को सोलर लालटेन और उनकी कालोनियों में सोलर लाइटों के इंतजाम के नाम पर भी इफरात में पैसा खर्च किया। 7.48 करोड़ की तो अकेले सोलर लालटेन खरीदी गईं। सोलर लाइट लगाने के नाम पर 16.15 करोड़ खर्च हुए। सवाल उठ रहा है कि जिन क्षेत्रों में ये श्रमिक रह रहे हैं, वहां नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत, ग्राम पंचायत, विकास प्राधिकरण, सिडकुल क्या सोलर लाइट का इंतजाम नहीं कर रहा है।

कोविड में भी हुआ बजट खर्च
45.20 करोड़ का बजट कोरोना महामारी के दौरान 2.26 लाख श्रमिकों के खातों में डाला गया। प्रत्येक श्रमिक के खाते में दो दो हजार रुपये की राशि डाली गई। कोरोना संकट के दौरान एक लाख से अधिक श्रमिकों को दस करोड़ के करीब राशन किट बांटी गईं। प्रति राशन किट का रेट 900 रुपये रहा।

3.70 लाख हैं राज्य में श्रमिक
राज्य में उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत श्रमिकों की संख्या 3.70 लाख है। इसमें भवन निर्माण श्रमिकों के साथ ही प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन, कारपेंटर शामिल हैं।

ये तमाम खर्चें पूर्व के बोर्ड के स्तर से हुए हैं। ऐसे में ऑडिट की ओर से जो सवाल उठाए गए हैं, उनका जवाब देने को पूर्व सचिव दमयंती रावत से जवाब मांगा जा रहा है। आखिर किन मंजूरियों के तहत करोड़ों का बजट खर्च हुआ।
शमशेर सिंह सत्याल, अध्यक्ष कर्मकार कल्याण बोर्ड

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