कर्मकार बोर्ड ने सचिव के खिलाफ खोला मोर्चा, सीधे किया कार्यमुक्त, बोर्ड सचिव के बीच में ही छोड़ जाने से अधूरी रही बैठक, अध्यक्ष समेत सदस्यों ने सचिव की भूमिका पर उठाए सवाल
देहरादून।
उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की बैठक हंगामेदार रही। बोर्ड अध्यक्ष समेत सदस्यों ने सचिव पर आरोपों की बौछार लगा दी। इस पर सचिव बोर्ड बैठक बीच में ही छोड़ कर चली गईं। इस पर बोर्ड में तय हुआ कि एक कार्यवाहक सचिव तैनात किया जाएगा। मौजूदा बोर्ड सचिव को हटाने की मांग सीएम से की जाएगी। बोर्ड ने सचिव को कार्यमुक्त ही कर दिया।
बोर्ड की बैठक बुधवार को वर्चुवल शुरू हुई। पहले तो सचिव सीधे शामिल नहीं हुई। फोन करने पर वो जुड़ी। उन पर बोर्ड के निर्णयों को न मानने का आरोप लगाया गया। 14 मई को हुई बैठक में लिए गए निर्णय को अभी तक न मानने के भी आरोप लगाए गए। बढ़ते विवाद को देखते हुए अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल ने बताया कि सचिव मधु नेगी चौहान ने वर्चुवल बैठक को बीच में ही छोड़ दिया। इस पर सदस्यों ने सख्त एतराज जताया।
बैठक में तय हुआ कि अब सबसे पहले बोर्ड की कार्यवाही संचालित किए जाने को एक कार्यवाहक सचिव तैनात किया जाएगा। इसके साथ ही सीएम को सचिव की कार्यशैली से अवगत कराया जाएगा। ताकि उन्हें हटाया जा सके। बैठक में अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल, श्रम आयुक्त दीप्ति सिंह, सचिव बोर्ड मधु नेगी चौहान, सदस्य इंदु बाला, उदित अग्रवाल, रजनीश शर्मा, बसंत सनवाल, विक्रम सिंह कठैत, प्रमोद बोरा मौजूद रहे।
कैसे दिया जा रहा दो फ्लोर का किराया
बोर्ड बैठक में सवाल उठा कि जब तय हुआ था कि ऑफिस शिफ्ट किया जाएगा, तो क्यों उसे दोबारा नेहरू कालोनी ही रखा गया। क्यों एक फ्लोर की जगह दो फ्लोर का किराया दिया जा रहा है। ये अतिरिक्त किराया सचिव के वेतन से वसूला जाएगा। क्योंकि एग्रीमेंट एक ही फ्लोर का हुआ है।
मंत्री के पास कैसे है बोर्ड का वाहन
बोर्ड ने मंत्री से सवाल किया कि बोर्ड का वाहन कैसे मंत्री के पास है। कैसे उसके तेल का भुगतान बोर्ड के स्तर से किया जा रहा है। इसका कोई जवाब सचिव स्तर से नहीं दिया गया।
सचिव ने नहीं दिया कोई जवाब
बोर्ड सचिव मधु नेगी चौहान को कई फोन और मैसेज किए गए, लेकिन उन्होंने किसी का भी जवाब नहीं दिया। इससे उनका पक्ष सामने नहीं आ सका। हालांकि उन्होंने शासन को जरूर पत्र लिख कर अपना पक्ष रखा है।
बोर्ड बैठक में सचिव के स्तर से कोई जवाब नहीं दिया गया। पिछले साल खरीदी गई 3.50 लाख राशन किट की शासन से मिली स्वीकृति दिखाने को बोला गया। कैसे सीधे बोर्ड ने एक कंपनी को अस्पताल के नाम पर 20 करोड़ जारी किए। उसकी स्वीकृति किससे ली गई। यदि ली गई, तो पैसा वापस क्यों लिया गया। बोर्ड सचिव बोर्ड के कार्यों में कोई दिलचस्पी नहीं ले रही हैं। इसकी शिकायत सीएम से होगी। किसी अन्य कार्यवाहक सचिव को जिम्मा देने की मांग होगी।
शमशेर सिंह सत्याल, अध्यक्ष कर्मकार कल्याण बोर्ड
अध्यक्ष और सचिव दोनों के स्तर से पत्र मिले हैं। दोनों के पत्रों का संज्ञान लिया जा रहा है। प्रकरण को उच्चादेश प्राप्त करने के लिए भेजा जाएगा।
हरबंस सिंह चुघ, सचिव श्रम