
अस्पताल का पता नहीं और कर्मकार बोर्ड ने ईएसआई की बजाय सीधे निर्माण एजेंसी को ही थमा दिए 20 करोड़, बोर्ड अफसर बोले ईएसआई को दिए पैसे, ईएसआई ने 20 करोड़ मिलने से किया इंकार, शासन ने बोर्ड का किया जवाब तलब, पैसा वापस लाने के निर्देश
देहरादून।
उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड से कोटद्वार के एक ऐसे अस्पताल निर्माण को 20 करोड़ रुपये जारी हुए, जिसका धरातल पर अभी कहीं कुछ पता नहीं है। किस योजना में अस्पताल का निर्माण होना है, अभी ये तक पता नहीं है। न केंद्र और न ही राज्य सरकार की कोई विधिवत मंजूरी है। इसके बावजूद बोर्ड के खाते से पैसा ईएसआई की बजाय सीधे निर्माण एजेंसी ब्रिज एंड रूफ के खाते में ट्रांसफर हो गई है। मामले का खुलासा होते ही बोर्ड, ईएसआई समेत शासन में खलबली मची हुई है। बोर्ड सचिव ने सचिव श्रम से इस मामले में मार्गदर्शन मांगा, तो शासन ने बोर्ड सचिव का ही जवाब तलब कर लिया है।
पूर्व में केंद्र की एजेंसी ईएसआईसी की ओर से कोटद्वार में अस्पताल निर्माण की घोषणा हुई, जो बाद में निरस्त हो गई। फिर तय हुआ कि राज्य को कोटद्वार, हरिद्वार, देहरादून में से किसी एक स्थान पर अस्पताल निर्माण की मंजूरी दी जाएगी। देहरादून और कोटद्वार में जमीन तय किए जाने को एक समिति का गठन हुआ है। कोटद्वार में पूर्व में जो जमीन तय थी, उसका एक बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य विभाग को लौटा दिया गया। इस बीच राज्य ईएसआई और उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के बीच तय हुआ कि अस्पताल निर्माण को बोर्ड 50 करोड़ रुपये बतौर कर्ज देगा। बोर्ड ने तेजी दिखाते हुए 20 करोड़ रुपये ईएसआई को देने की बजाय सीधे निर्माण एजेंसी को ही दे दिए। इसकी जानकारी तक ईएसआई को नहीं है।
बोर्ड में बदलाव होने और कागजों की पड़ताल में मालूम चला कि 20 करोड़ का बजट कंपनी को जारी हुआ है। बोर्ड ने ईएसआई को पत्र लिख इस पैसे का हिसाब किताब पूछा, तो ईएसआई ने पैसा मिलने से ही साफ इंकार कर दिया। इससे परेशान बोर्ड अफसरों ने इस मामले में शासन से मार्गदर्शन मांगा है। शासन ने बोर्ड सचिव से जवाब तलब करते हुए पूछा है कि ये पैसा किस आधार पर बोर्ड ने दिया। इस नये मामले से एकबार फिर बोर्ड की भूमिका सवालों के घेरे में है। बोर्ड सचिव से जवाब तलब करने की सचिव श्रम ने पुष्टि की। बोर्ड, ईएसआई को साफ किया गया है कि कंपनी से पैसा वापस लिया जाए।
एक्ट से बाहर जाकर लिया फैसला
भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड एक्ट 1996 में स्पष्ट है कि बोर्ड का पैसा सिर्फ भवन निर्माण श्रमिकों के पुनर्वास, उनकी योग्यता बढ़ाने पर खर्च हो सकता है। दूसरी संस्थाओं तो दूर इस पैसे से बोर्ड अपनी बिल्डिंग का भी निर्माण नहीं कर सकता। इस मामले में तो बोर्ड ने 20 करोड़ का ऋण ही दे दिया है। ये ऋण कैसे वापस होगा, इसका भी कोई हिसाब किताब नहीं है।
बोर्ड की ओर से ईएसआई को कोई पैसा जारी नहीं हुआ है। खाते की जांच कराई जा रही है। पैसा सीधे निर्माण एजेंसी को जारी कर दिया गया है। एजेंसी को तत्काल पूरा पैसा लौटाने के लिए कहा गया है। अभी कोटद्वार अस्पताल निर्माण को केंद्र और राज्य किसी भी स्तर से विधिवत मंजूरी नहीं मिली है। न ही योजना की ईएफसी, टीएसी मंजूरी तक नहीं हुई है। डीपीआर तक नहीं बनी है।
प्रशांत आर्य, निदेशक ईएसआई
ये पूर्व का मामला है। इस मामले की ज्यादा जानकारी नहीं है। अभी हाल ही में चार्ज लिया है। सिर्फ इतनी जानकारी है कि पैसा ईएसआई को दिया है। बोर्ड के पास ओरिजनल फाइल नहीं है। इस मामले में पूरा पत्राचार ही शासन स्तर से हुआ है। सिर्फ ये पता है कि बोर्ड ने पैसा ईएसआई को दिया है। इससे ज्यादा जानकारी नहीं है। इस मामले में शासन से मार्गदर्शन मांगा गया है।
दीप्ति सिंह, सचिव उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड