राज्य से बाहर के एससी एसटी और महिला कोटे की अभ्यर्थियों ने नियम विरुद्ध उठाया राज्य के आरक्षण का लाभ
शासन ने तलब किया 2005 में एई, जेई की भर्ती का रिकॉर्ड, जल निगम में मचा हडकंप
जीटी रिपोर्टर, देहरादून
जल निगम में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने वालों पर संकट बढ़ गया है। तरीके से जांच हुई, तो बड़ी संख्या में अफसरों की नौकरी जाना तय है। क्योंकि जल निगम में वर्ष 2005 में असिस्टेंट इंजीनियर और जूनियर इंजीनियर पद पर हुई भर्ती में आरक्षण का गलत लाभ देने के मामले में पड़ताल शुरू हो गई है। शासन में पेयजल विभाग ने जल निगम से पूरा रिकॉर्ड तलब किया है।
जल निगम में सहायक अभियंता पद पर आरक्षित वर्ग की एससी, एसटी, और महिला कोटे की सीटों पर सिर्फ राज्य के लोगों को ही नौकरी मिल सकती है। बाहरी लोग सिर्फ सामान्य संवर्ग की सीटों पर ही आवेदन कर सकते हैं। लेकिन जल निगम में 2005 में न सिर्फ एई बल्कि जेई के पद पर भी बड़ी संख्या में बाहरी लोग नौकरी पाने में कामयाब रहे। अब यही सहायक अभियंता मौजूदा समय में न सिर्फ अधिशासी अभियंता के पद पर पदोन्नत हो चुके हैं, बल्कि कई अहम डिवीजनों की भी जिम्मेदारी संभाले हुए हैं। इन्हीं लोगों के दबाव में अभी तक पूरे फर्जीवाड़े को दबा कर रखा गया था।
अब शासन ने जल निगम से उस समय चयन नियमावली, आरक्षण को लेकर निगम में लागू प्रावधानों समेत जिन लोगों का चयन किया गया है, उनके रिकॉर्ड मांगे हैं। जल निगम ने 2005 में पंजाब यूनिवर्सिटी से एई और जेई पद पर भर्ती को परीक्षा कराई। पंजाब यूनिवर्सिटी ने चयनित लोगों की सूची जल निगम प्रबंधन को सौंप दी थी। इसके बाद दस्तावेजों की जांच समेत नियुक्ति देने की प्रक्रिया जल निगम के स्तर से की गई।
सहायक अभियंता और अवर अभियंता पद पर वर्ष 2005 में हुई भर्ती का ब्यौरा शासन ने तलब किया गया है। शासन का पत्र मिल गया है। पूरा रिकॉर्ड निकलवाया जा रहा है। जल्द शासन को पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी जाएगी।
वीसी पुरोहित, एमडी जल निगम