एसीपी, प्रमोशन में रियायत समेत दौड़ेंगी कर्मचारियों की फाइलें, मुख्य सचिव से कर्मचारियों को मिला आश्वासन

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एसीपी, प्रमोशन में रियायत समेत दौड़ेंगी कर्मचारियों की फाइलें, मुख्य सचिव से कर्मचारियों को मिला आश्वासन
जीटी रिपोर्टर, देहरादून
कर्मचारियों की लंबे समय से सचिवालय में दबी फाइलें अब बाहर आएंगी। एसीपी, प्रमोशन में शिथिलता समेत तमाम दूसरी मांगों पर कार्रवाई का ब्यौरा मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने सचिवों से तलब किया है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद को आश्वस्त किया कि उनकी मांगों का सर्वोच्च प्राथमिकता पर निस्तारण होगा।
परिषद के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव को बताया कि कैसे सालों से उनकी मांगों से जुड़ी फाइलें शासन में धूल फांक रही हैं। सातवें वेतनमान में एसीपी की व्यवस्था को बदल कर 10, 20 और 30 वर्ष कर दिया गया है। इससे कर्मचारियों को बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है। पूर्व में मुख्य सचिव के आश्वासन के बाद भी आज तक मांग पूरी नहीं हुई। विभागों में ढांचा, सेवा नियमावली न होने से प्रमोशन लटके हुए हैं। अफसर प्रमोशन लटका रहे हैं। ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
वेतन विसंगति के प्रकरणों को निस्तारित किया जाए। दैनिक वेतन भोगी, संविदा, उपनल, आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित किया जाए। शासनादेश के अनुसार वाहन भत्ता दिया जाए। विभागों में प्रमोशन के मौके नहीं हैं, वहां अन्य संवर्गों की तरह स्टाफिंग पैटर्न का लाभ दिया जाए।
ट्रांसफर एक्ट में 50 वर्ष से अधिक की महिला और 52 वर्ष से अधिक के पुरुष कर्मचारियों को दुर्गम में तबादले से राहत दी जाए। पुरानी पेंशन सुविधा को बहाल किया जाए। एक दिन के वेतन कटौती के आदेश को वापस लिया जाए। प्रतिनिधिमंडल में ठाकुर प्रहलाद सिंह, अरुण पांडे, शक्ति प्रसाद भट्ट, ओमवीर सिंह आदि मौजूद रहे।

आयुष्मान योजना का नहीं कोई लाभ
कर्मचारियों ने कहा कि आयुष्मान योजना का कोई लाभ नहीं है। अटल आयुष्मान योजना में बड़े अस्पताल फोर्टिज, मैक्स, कैलाश, सिनर्जी, हिमालयन, सीएमआई में कैशलेस सुविधा नहीं मिल रही है। प्रदेश और देश के दूसरे अस्पतालों को कैशलेस की सुविधा में शामिल किया जाए। पेंशनर्स से हेल्थ स्मार्ट कार्ड की ही तरह मासिक प्रीमियम की कटौती की जाए।

क्यों नहीं दिया जा रहा है पदोन्नति में शिथिलता का लाभ
परिषद ने कहा कि कर्मचारियों को पूरे सेवाकाल में पदोन्नति में एकबार शिथिलता का लाभ मिलता था। इसे बंद कर दिया गया है। इस पर हाईकोर्ट इस सुविधा को शुरू करने के आदेश भी कर चुका है। इसके बाद भी शासन स्तर से आदेश नहीं किए जा रहे हैं।

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