सरकार भाजपा की, साइकिल श्रम विभाग की और बांट रही आम आदमी पार्टी, सरकारी साइकिलें कैसे पहुंची बाहर, बैठी जांच
देहरादून।
राज्य में सरकार भाजपा की है। भवन निर्माण से जुड़े मजदूरों को दी जाने वाली साइाकिलें श्रम विभाग की हैं। गजब स्थिति ये है कि इन्हें बांटने का काम श्रम विभाग, भाजपा विधायक, मंत्री नहीं, बल्कि आम आदमी पार्टी की टोपी पहने हुए लोग कर रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि ये सरकारी साइकिलें कैसे आप की टोपी पहने हुए लोगों तक पहुंची। मामले का खुलासा होने पर बवाल मच गया है। श्रम विभाग से लेकर भवन एवं अन्य संन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अफसर सवालों के घेरे में आ गए हैं। गड़बड़ी की शिकायत सीएम त्रिवेंद्र रावत तक पहुंची, तो पूरे मामले में जांच भी बैठ गई है।
आम आदमी पार्टी की टोपी पहने हुए लोगों के हाथ से गांधी ग्राम देहरादून में साइकिल बांटने की फोटो वायरल होते ही देहरादून में सियासी संग्राम खड़ा हो गया है। आरोप लग रहा है कि श्रमिकों के लिए खरीदी गई साइकिलों को सियासी लाभ के लिए लोगों को बांट दिया गया है। अपनी ही सरकार में सरकारी योजना का लाभ आप के जरिए लोगों तक पहुंचता देख, भाजपाई भी सक्रिय हुए। शिकायत सीधे सीएम त्रिवेंद्र रावत तक पहुंचाई गई। सीएम ने भी श्रम मंत्री को पड़ताल के निर्देश दिए। ये सियासी हलचल पिछले एक सप्ताह से कैंट विधानसभा के गांधी ग्राम क्षेत्र में आप पार्टी की सक्रियता के बाद से शुरू हुई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि क्षेत्र के चुनिंदा घरों में आप पार्टी की टोपी पहने हुए लोग साइकिल बंटवा रहे हैं। गांधी ग्राम निवासी शाहजहां ने बताया कि एक परिवार में कहीं कहीं तो तीन साइकिल तक बांटी गई। उन्हें पहले शिमला बाईपास रोड भुड्डी गांव स्थित गोदाम बुलाया गया। फिर वहां से बिना साइकिल दिए ही भगा दिया गया।
स्थानीय निवासी दानिश, अनीस अहमद ने बताया कि पहले लोगों से श्रमिक कार्ड मांगे गए। जब बताया गया कि उनके पास श्रमिक कार्ड नहीं है, तो आधार कार्ड मांगे गए। इसके बाद भी हम मजदूर लोगों को साइकिल नहीं दी गई। उल्टा जो लोग संपन्न हैं, उन्हें ही साइकिल बांटी गई। नसीम, शकील, हामिद, फईम ने बताया कि जो लोग श्रमिक भी नहीं हैं, उन्हें साइकिल दी गई। जबकि जो असल जरूरतमंद है, उन्हें पूछा तक नहीं जा रहा है। जिन लोगों को साइकिल मिली, उन्होंने बात करने से मना कर दिया। सचिव श्रम हरवंश चुघ ने बताया कि श्रम विभाग से रिपोर्ट ली जा रही है। पूरे प्रकरण को गंभीरता से लिया जाएगा। कहीं भी कुछ गड़बड़ी पाई जाएगी, तो कार्रवाई होगी। दूसरी ओर बोर्ड क अपर मुख्य कार्यधिकारी अशोक वाजपेयी ने बताया कि बोर्ड का काम सिर्फ श्रम विभाग की मांग के अनुरूप उन्हें साइकिल उपलब्ध कराना है। बांटने का जिम्मा उन्हीं का है। यदि कोई शिकायत आती है, तो उसकी पड़ताल कराई जाती है।
आप का आरोप, बदनाम करने की है साजिश
आप के प्रवक्ता रविंद्र आनंद ने कहा कि ये आप को बदनाम करने की भाजपा की साजिश है। आप जब सत्ता में ही नहीं है, तो वो कैसे साइकिल बांट सकती है। हमारे कहने से कोई विभाग क्यों साइकिल बांटेगा। जो फोटो वायरल की जा रही हैं ,वो एडिट की हुई हैं। भाजपा को मालूम चल गया है कि उसका मुकाबला आप से ही है। कांग्रेस कहीं सीन में नहीं है। वहीं दूसरी ओर भाजपा पार्षद गांधी ग्राम मिनाक्षी मौर्य ने कहा कि कोरोना के दौरान बिना प्रशासन की मंजूरी के कैसे कोई सार्वजनिक कार्यक्रम हो सकता है। विरोध साइकिल बांटने का नहीं है, बल्कि प्रशासनिक मंजूरी के साथ असल श्रमिकों को ही लाभ दिया जाए। जिनके पास पंजीकृत श्रमिक कार्ड ही नहीं हैं, तो उन्हें कैसे लाभ मिल रहा है।
खुफिया विभाग भी हुआ अलर्ट
इस सियासी हंगामे पर खुफिया विभाग के भी कान खड़े हुए। एलआईयू ने मौके पर जाकर पड़ताल की। बताया जा रहा है, जिस शख्स की फोटो वायरल हो रही है, वो आप में हाल ही में शामिल हुआ है। एक परिवार में पति, पत्नी, 22 साल की बेटी, 16 साल के बेटे को भी साइकिल बांटी गई। पूरे मामले में कनेक्शन एक मंत्री के पुराने करीबी का बताया जा रहा है। जिसने कुछ समय पहले ही आप पार्टी ज्वाइन की है। इसी करीबी के भुड्डी गांव स्थित स्टोर में भी एलआईयू पहुंची, जहां साइकिल लेने को लेकर भीड़ जुटी हुई थी। टीम के पहुंचने से पहले ही गोदाम बंद कर दिया गया था।
हर साल बांटी जाती हैं 25 हजार साइकिल
बोर्ड के अपर कार्यधिकारी अशोक वाजपेयी ने बताया कि बोर्ड हर साल करीब 25 हजार साइकिल बांटता है। इस बार कोरोना के कारण बोर्ड ने नई साइकिल का कोई ऑर्डर नहीं दिया है। गोदाम में पिछले वित्तीय वर्ष की ही साइकिल होंगी, ये कितनी हैं, इसकी सटीक जानकारी अभी नहीं है।
हमेशा खड़ा हुआ विवाद
श्रम विभाग की साइकिल बांटने के दौरान हर बार विवाद खड़ा होता है। साइकिल बांटने का जिम्मा श्रम विभाग के स्थानीय इंस्पेक्टर का है। इसके बावजूद आए दिन स्थानीय पार्षद, राजनीतिक दलों से जुड़े लोग ही साइकिल बांट रहे हैं। शासन स्तर तक भी ये शिकायतें पहुंच रही हैं। इस बार चूंकि मसला विपक्षी आप पार्टी से जुड़ा रहा, तो मसला सियासी हो गया।