भर्ती माफिया के खिलाफ कहर बन कर टूटे सीएम पुष्कर धामी, प्रदेश की राजनीति में बहुत लंबी लकीर खींच गए पुष्कर, उत्तराखंड में अब किसी को याद नहीं आती योगी आदित्यनाथ की रफ्तार, अब उत्तराखंड में रात में भी चल जाता है बुलडोजर और वन विभाग का मुखिया रहा अफसर तक भेज दिया जाता है सलाखों के पीछे

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देहरादून।

भर्ती माफिया के खिलाफ कहर बन कर टूटे सीएम पुष्कर धामी, प्रदेश की राजनीति में बहुत लंबी लकीर खींच गए पुष्कर, उत्तराखंड में अब किसी को याद नहीं आती योगी आदित्यनाथ की रफ्तार, अब उत्तराखंड में रात में भी चल जाता है बुलडोजर और वन विभाग का मुखिया रहा अफसर तक भेज दिया जाता है सलाखों के पीछे

अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भर्ती घपले में पूर्व पीसीसीएफ, आयोग अध्यक्ष रहे आरबीएस रावत समेत तीन अफसरों को जेल भेज सीएम पुष्कर धामी भर्ती माफिया के खिलाफ कहर बन कर टूट पड़े हैं। अपने इस कदम से सीएम पुष्कर ने प्रदेश की राजनीति में एक लंबी लकीर खींच दी है। पुष्कर के इस कदम से उनका सियासी कद इस कदर ऊंचा हो गया है कि अब प्रदेश के अन्य बाकि नेता बौने नजर आ रहे हैं।
2017 में जब उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार और यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी, तो कुछ महीने में उत्तराखंड के लोगों ने कटाक्ष करना शुरू कर दिया था। लोगों का तंज था कि यूपी में तो सरकार 90 की स्पीड से दौड़ रही है, लेकिन उत्तराखंड में सरकार 20 की स्पीड में रेंग रही है। लेकिन अब सीएम पुष्कर धामी के राज में उत्तराखंड के लोग यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की रफ्तार को भूल चुके हैं, क्योंकि उत्तराखंड में सीएम पुष्कर की रफ्तार किसी भी मायने में दूसरे मजबूत राज्यों से कम नहीं है।
पहले अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भर्ती घपले में 42 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी की। हाकम सिंह जैसे मजबूत राजनीतिक पकड़ वाले भर्ती माफिया को सलाखों के पीछे भेजा। उत्तराखंड से लेकर यूपी तक धरपकड़ कर माफियाओं को जेल भेजा। मूसा को गिरेबां पकड़ कर उत्तराखंड लाया गया। इसके बाद अंकिता भंडारी के हत्यारों को गिरफ्तार किया। मजबूत पकड़ वाले आर्य परिवार के रिजॉर्ट को जमींदोज किया। सीएम धामी का यही बुलडोजर दूर उत्तरकाशी सांकरी में भी हाकम के रिजॉर्ट पर गरजा।
अब ताबड़तोड़ कार्रवाई का ये सिलसिला जारी रखते हुए शुक्रवार को ऐतिहासिक कदम उठाया। आरबीएस रावत, मनोहर सिंह कन्याल, राजेंद्र सिंह पोखरिया जैसे मजबूत लोगों को जेल भेज कर इतिहास रच दिया। ये साहस दिखाने वाले पुष्कर 22 साल के उत्तराखंड के पहले नेता बन गए हैं। आज तक 22 सालों में किसी भी नेता ने ये साहस दिखाने की हिम्मत नहीं की। यही हिम्मत यदि 2016, 2018 में तत्कालीन नेताओं ने दिखा दी होती, तो आज भर्ती माफिया इस कदर उत्तराखंड के युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ न कर रहे होते।

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