कांग्रेस ने सरकार से पूछा सवाल, यूपीसीएल टेंडर कमेटी में शामिल अफसरों पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई
देहरादून।
यूपीसीएल के करोड़ों बकाया वसूली मामले में कांग्रेस ने सरकार से सवाल किया है। मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज सवाल किया है कि क्यों इस पूरे मामले में असल दोषी प्रबंधन के उच्च स्तर के अफसरों के खिलाफ क्यों कार्रवाई नहीं हुई। कांग्रेस ने उच्च अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। खासतौर पर उन अफसरों पर निशाना साधा, जिन्होंने 80 करोड़ का बकाया होने के बावजूद दिसंबर 2019 में डिफॉल्टर कंपनी के साथ ही दोबारा करार कर लिया।
सीएम को भेजे ज्ञापन में जिला कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता गीता बिष्ट ने कहा कि बकाया वसूली प्रकरण में उन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जो असल जिम्मेदार हैं। कैसे 80 करोड़ का बकाया होने के बाद भी डिफॉल्टर कंपनी को दिसंबर 2019 में हुई टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने दिया गया। क्यों उसी समय दबाव बना कर कंपनी से शत प्रतिशत वसूली नहीं कराई गई। कैसे टेंडर के समय कंपनी के काम को बेहतर बताते हुए दोबारा काम दिया गया। टेंडर कमेटी के जिन अफसरों ने करार पर साइन किए, उनकी भूमिका की क्यों जांच नहीं की जा रही है। गीता बिष्ट ने कहा कि पूर्व में रिलायंस जियो ने राज्य के बिजली के खंबों पर अपनी ऑप्टीकल फाइबर लाइन बिछाने को करोड़ों के चैक यूपीसीएल को दिए। इन चैक को महीनों तक दबा कर रखा गया। इससे यूपीसीएल को लाखों के ब्याज का नुकसान हुआ। इस मामले में भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उपभोक्ता क्यों भुगतें यूपीसीएल की लापरवाही का खामियाजा
कांग्रेस नेता ने कहा कि यूपीसीएल की इस लापरवाही का खामियाजा आम जनता भुगत रही है। क्योंकि इस 80 करोड़ के बकाया विद्युत नियामक आयोग को हर साल भेजे जाने वाले प्रस्ताव में नहीं दिखाया गया। यदि दिखाया गया होता, तो बिजली उपभोक्ताओं को इसका लाभ बिजली दरों में मिलता।