डीसीबी को राज्य सहकारी बैंक में मर्ज करने की तैयारी, सहकारिता मंत्री ने तीन सदस्यीय कमेटी का किया गठन, नफे नुकसान की होगी पड़ताल, फिर जाकर होगा फैसला 

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डीसीबी को राज्य सहकारी बैंक में मर्ज करने की तैयारी, सहकारिता मंत्री ने तीन सदस्यीय कमेटी का किया गठन, नफे नुकसान की होगी पड़ताल, फिर जाकर होगा फैसला

देहरादून।

जिला सहकारी बैंकों को राज्य सहकारी बैंक में मर्ज करने की तैयारी हो रही है। इसके लिए एक समिति का भी गठन कर दिया गया है। जो एकीकरण से होने वाले नफे नुकसान की पड़ताल करेगी। इसके बाद जाकर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
राज्य में अभी दस जिला सहकारी बैंक और एक राज्य सहकारी बैंक है। इन 11 बैंकों की अपनी अपनी शाखाएं हैं। अपने अपने बोर्ड हैं। हर बोर्ड में अध्यक्ष, निदेशक हैं। एकीकरण के बाद एक बैंक और एक बोर्ड रहेगा। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, निदेशक भी गिनती के रहेंगे। इन सबसे के बावजूद क्या बैंकों को इस फार्मूले से मुनाफा होगा या स्थिति पहले की ही तरह रहेगी, इसी की पड़ताल के लिए समिति का गठन कर दिया है। इस समिति में नाबार्ड, बैंक प्रतिनिधि और एक्सपर्ट शामिल हैं।

अब आरबीआई भी दे चुका है मंजूरी, फैसला राज्यों पर छोड़ा
इस मामले में सबसे बड़ी अड़चन भी दूर हो गई है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भी अपनी मंजूरी दे चुका है। बैंक ने फैसला राज्यों पर छोड़ दिया है। राज्य अपने स्तर पर एकीकरण का फैसला ले सकते हैं।

मर्जर से बैंकों में खत्म हो जाएगा राजनीतिकरण
एकीकरण से बैंकों में बहुत हद तक राजनीतिकरण समाप्त हो जाएगा। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, निदेशकों की फौज नजर नहीं आएगी। बोर्ड के फैसलों में राजनीतिक दबाव नजर नहीं आएंगे।

दबाव बनाकर देने वाले कर्ज होंगे समाप्त
राजनीतिक दबाव खत्म होने से दबाव बना कर दिए जाने वाले कर्ज समाप्त होंगे। गलत लोन बंद होने से बैंकों को एनपीए कम होगा। बैंकों का घाटा कम होगा।

एक कमेटी का गठन किया गया है। जो बैंकों के एकीकरण से पड़ने वाले प्रभाव पर रिपोर्ट देगी। कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद आगे फैसला लिया जाएगा। कमेटी बताएगी कि एकीकरण से क्या वित्तीय लाभ, नुकसान हो रहे हैं।
धन सिंह रावत, सहकारिता मंत्री

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