जिले में डीएम को नहीं शासन का डर, नहीं मान रहे शासन का आदेश, जानकारी तक नहीं दी जा रही है, संग्रह अमीनों के मामले में हुई फजीहत
देहरादून।
जिले में आदेश लागू करने से पहले जिलाधिकारी शासन से मार्गदर्शन लेना तो दूर, जानकारी तक नहीं दे रहे हैं। शासन से बिना मंजूरी लिए संग्रह अमीनों को एसीपी का लाभ देने के मामले में शासन ने जिलाधिकारियों से सख्त नाराजगी जताई है। सचिव राजस्व ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेज उनका जवाब मांगा है। सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी एसएलपी दायर कर चुकी है।
राज्य में अलग अलग जिलों में एसीपी का लाभ देने की मांग को लेकर संग्रह अमीनों ने हाईकोर्ट में केस दायर किया। केस हारने पर जिलाधिकारियों ने अवमानना के डर से तत्काल संग्रह अमीनों को एसीपी का लाभ दे दिया। हाईकोर्ट ने संग्रह अमीनों को 1997 से ही नियमित कर्मचारी की भांति सभी लाभ दिए जाने के आदेश दिए, जबकि सीजनल संग्रह अमीन बाद के वर्षों में नियमित हुए।
सरकार हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर चुकी है। इस बीच शासन को जानकारी मिली कि नैनीताल, पिथौरागढ़, बागेश्वर, टिहरी, देहरादून में डीएम ने अपने स्तर पह ही लाभ देने के आदेश कर दिए। सचिव राजस्व ने जिलाधिकारियों के इस फैसले को अत्यंत आपत्तिजनक करार दिया है। सरकार का मानना है कि अमीनों के विनियमितीकरण की तारीख अलग- अलग है। ऐसे में उन्हें उनके विनियमितीकरण की तारीख से ही सेवा लाभ दिया जाए।
हाईकोर्ट के आदेश पर संग्रह अमीनों का अलग संवर्ग बनाया गया। संग्रह राजस्व निरीक्षक, संग्रह नायब तहसीलदार के पद सृजित किए गए, लेकिन अमीनों को 1997 से ही नियमितीकरण के सभी लाभ देने के हाईकोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई है। ऐसे में जिलाधिकारियों का बिना मंजूरी लिए एसीपी का लाभ देने का फैसला आपत्तिजनक है।
सुशील शर्मा, सचिव राजस्व