हर साल 10 करोड़ की फ्री बिजली फूंक रहे बिजली कर्मचारी, आयोग सख्त

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हर साल 10 करोड़ की फ्री बिजली फूंक रहे बिजली कर्मचारी, आयोग सख्त


देहरादून।

ऊर्जा निगम अपने कर्मचारियों और पेंशनर्स को हर महीने एक सीमा तक बिजली फ्री देता है। तय सीमा के बाद बिजली का खर्चा कर्मचारियों और पेंशनर्स को देना होता है। हर साल कर्मचारियों, पेंशनर्स को फ्री दी जाने वाली बिजली पर दस करोड़ का खर्चा आता है। 
इस खर्च को उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग सालाना ऊर्जा निगम के खर्च में नहीं जोड़ता।
ऊर्जा निगम इसे अपने सालाना खर्चे में जोड़ने को लेकर दबाव बनाए हुए है। ऊर्जा निगम हर साल विद्युत नियामक आयोग को बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव भेजता है। इस प्रस्ताव में ऊर्जा निगम के सालाना खर्च को आधार बना कर बिजली दरों में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव भेजा जाता है। इस प्रस्ताव का नियामक आयोग अध्ययन करता है। 
आम जनता, उद्योगों समेत तमाम वर्ग से राय, आपत्ति ली जाती है। ऊर्जा निगम का तर्क है कि वो अपने कर्मचारियों को एक तय मात्रा तक बिजली देने पर करीब दस करोड़ रुपये खर्च करता है। ऐसे में इस खर्च को भी सालाना खर्च में शामिल कर इसका लाभ बिजली दरों में दिया जाए।
आयोग इसके लिए तैयार नहीं है। इसी मसले को लेकर पिछले सप्ताह शासन स्तर पर भी एक बैठक हो चुकी है। निगम की ओर से अपना जवाब शासन के समक्ष दर्ज करा दिया गया है। हाईकोर्ट के निर्देश पर ही ऊर्जा निगम के कर्मचारियों के लिए हर महीने तय मानक के अनुसार बिजली उपलब्ध कराने की व्यवस्था बनाई गई थी।

बिजली कर्मचारियों को हाईकोर्ट के निर्देश के तहत दी गई व्यवस्था के अनुरूप बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। इस पर जो खर्च आता है। उसकी भरपाई विद्युत नियामक आयोग को सालाना एआरआर में करनी चाहिए। इसी की मांग की गई है।
अनिल कुमार, एमडी यूपीसीएल

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