मिनाक्षी ने फिर किया साबित, वही हैं सुंदरम, लॉकडाउन में किए गए काम को केंद्र ने भी सराहा
देहरादून। जीटी रिपोर्टर
सचिव शिक्षा आर मिनाक्षी सुंदरम की पहचान किसी भी विपरीत परिस्थिति में बेहतर देने वाले अफसर की रही है। यही वजह है, जो वो हर सरकार में विभागीय मंत्रियों के चहेते रहे हैं। हर मंत्री में उन्हें अपने विभागों में लाने की होड़ मची रहती है। इस बार उनके कोरेाना महामारी में मिड डे मील योजना में किए गए उल्लेखनीय काम को केंद्र सरकार ने भी सराहा। केंद्र सरकार ने बकायदा ट्विट कर उत्तराखंड की हौसला अफजाई भी की। शिक्षा विभाग ने कोरोना महामारी के समय स्कूली छात्रों तक एमडीएम राशन और भत्ता पहुंचाने का सफल उल्लेखनीय काम किया। छह लाख बच्चों तक 38 करोड़ मिड डे मील योजना का पैसा पहुंचाया। पैसा डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर खातों तक पहुंचाया गया। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सोमवार को ट्विट कर राज्य का सम्मान किया। उत्तराखंड का ये काम इसीलिए अहम है, क्योंकि कोरोना संकट के दौर में सभी शिक्षण संस्थान बंद हो गए थे। ऐसे में बच्चों तक मिड डे मील पहुंचाना असंभव था। इन विपरीत हालात में शिक्षा विभाग ने छह लाख बच्चों तक एमडीएम का 2.3 किलो चावल प्रति बच्चा और लागत का पैसा बच्चों तक पहुंचाया। शिक्षा विभाग ने 38.9 करोड़ का डीबीटी के जरिए पहुंचाया।
हर विभाग में छोड़ी अपनी छाप
आईएएस अफसर आर मिनाक्षी सुंदरम ने अपनी हर भूमिका में एक छाप छोड़ी। डीएम उत्तरकाशी, हरिद्वार में उनके किए गए काम, व्यवहार को लोग आज तक याद रखते हैं। एमडीडीए में उपाध्यक्ष रहते हुए विकास प्राधिकरण की सिर्फ अवैध निर्माण के चालान काटने प्राधिकरण की छवि से बाहर निकाला। एमडीडीए के लिए मजबूत लैंड बैंक तैयार किया। आईएसबीटी, ट्रांसपोर्टनगर, तरला आमवाला समेत कई आवासीय योजनाओं को शुरू किया। ऑनलाइन मैप सिस्टम को मजबूत किया। उनके किए गए काम पर अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर दूसरे उपाध्यक्ष अवार्ड हासिल कर रहे हैं। सचिव सहकारिता के रूप में 3500 करोड़ के एनसीडीसी प्रोजेक्ट को मंजूर कराने के साथ ही धरातल पर उतारने का काम किया। पशुपालन, मत्स्य जैसे विभागों को जहां आज तक दूसरे सचिवों ने महत्वहीन समझते हुए सिर्फ टाइम पास किया। सुंदरम ने आस्ट्रेलिया से मेरीना भेड़ लाकर टिहरी तक पहुंचा दी। डेयरी में तमाम नये प्रोजेक्ट शुरू किए, जो आज कोरेाना संकट के समय में स्वरोजगार का बड़ा माध्यम बने हुए हैं।
मुख्यमंत्री जी और शिक्षा मंत्री के दिशा निर्देश पर शिक्षा विभाग की टीम ने इस काम को पूरा किया। शिक्षा विभाग दो तरीकों से पैसा बच्चों के भोजन के लिये देता है। एक पैसा वो खाध्य विभाग को देता है, जिससे अनाज खरीदकर स्कूलो तक पंहुचाता है। दूसरा पैसा भोजन पकाने को खातो में पंहुचाया जाता है। चूंकि शिक्षा विभाग के पास पहले से ही सभी बच्चों के खाते मौजूद थे। ऐसे में पैसा सीधे बच्चों के खातो में भेजा गया। ताकि मिडडे मील भोजन योजना की मूल भावना बनी रही। बच्चों का ड्राप आउटरेट कम से कम हो। ये व्यवस्था सफल रही है। आज आया ट्विट पूरे विभाग को और प्रोत्साहित करने के साथ ही और बेहतर काम करने की दिशा में प्रोत्साहित करेगा।
आर मिनाक्षी सुंदरम, सचिव शिक्षा
