पहाड़ों में इंजीनियर ही नहीं, कैसे पहुंचेगा हर घर नल से जल, जेई से लेकर एई स्तर पर इंजीनियरों की पहाड़ों में कमी, तबादलों में पेयजल सेक्टर के इंजीनियर निर्माण विंग शिफ्ट
देहरादून।
पेयजल निगम में पहाड़ के डिवीजनों में इंजीनियरों की भारी कमी है। ऐसे में इसका सीधा असर जल जीवन मिशन पर भी देखने को मिल रहा है। पेयजल निगम में हाल के तबादलों ने और गहरा संकट खड़ा कर दिया है। जहां इंजीनियर पहले ही कम थे, वहां और कम हो गए हैं। पेयजल सेक्टर के इंजीनियरों का तबादला निर्माण विंग में कर दिया गया है।
अब स्थिति ये है कि गढ़वाल मंडल में सिर्फ 33 जेई कार्यरत है। जबकि डिवीजनों की संख्या के अनुसार 144 जेई होने चाहिए। अकेले पौड़ी जिले में ही जहां जल जीवन मिशन में 2020 गांव में काम किया जाना है, वहां कुल आठ जेई और चार एई हैं। कोटद्वार डिवीजन में 1010 गांव में काम किया जाना है। यहां सिर्फ दो जेई और एक एई है। जबकि यहां नौ पम्पिंग योजनाओं का भी अलग से दबाव है, जिन पर जल्द काम शुरू होना है। श्रीनगर में 449 गांव में पानी पहुंचाया जाना है।
दूसरी ओर देहरादून में जहां सिर्फ 649 गांव में पानी पहुंचाया जाना है, वहां 17 जेई और 17 ही एई की भीड़ है। हरिद्वार में 488 गांव में पानी पहुंचाया जाना है। यहां नौ जेई और पांच एई हैं। सबसे गजब ये है कि निर्माण यूनिट में इंजीनियरों की भीड़ खड़ी की जा रही है। जहां दूसरे महकमों का काम किया जाना है, वहां इंजीनियर सेटिंग से तबादले करा रहे हैं। पेयजल और सीवरेज सेक्टर में दुर्गम क्षेत्रों में जाने से इंजीनियर बच रहे हैं। तो प्रबंधन आंख बंद कर तबादले कर रहा है।
पहाड़ों के डिवीजनों से इंजीनियर हुए कम
हाल में हुए तबादलों में पहाड़ों से इंजीनियरों को नीचे उतार दिया गया है। उनके स्थान पर पहाड़ों में लोग नहीं भेजे गए। प्रमोशन में भी यही स्थिति रही। पहले सभी को मूल तैनाती वाले स्थानों पर ही पदोन्नति दे दी गई। उसके बाद टुकड़ों में अजीबो गरीब तरीके से आदेश हो रहे हैं।
नये तबादलों पर उठ रहे सवाल
पेयजल निगम में नए तबादलों पर भी सवाल उठ रहे हैं। इंजीनियर सीधे तबादला आदेश लेकर ज्वाइनिंग वाले स्थान पर पहुंच जा रहे हैं। जबकि जहां ज्वाइन किया जाना है, वहां आदेश पहुंच ही नहीं रहा। इसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। गुपचुप आदेशों को लेकर पेयजल निगम में अंदरखाने खासी हलचल मची हुई है। मुख्यालय का प्रबंधन सीधे फील्ड के इंजीनियरों के निशाने पर है।
ये बात सही है कि पेयजल निगम में इंजीनियरों की कमी है। अब ये कमी दूर होने जा रही है। आयोग से निगम को नये जूनियर इंजीनियर मिल गए हैं। उन्हें पहाड़ों पर तैनाती दी जाएगी। ऐसे सभी डिवीजन जहां इंजीनियर नहीं हैं, वहां उन्हें तैनात किया जाएगा। ताकि काम पर असर न पड़े। तबादलों में पारदर्शिता लाई जाएगी।
उदयराज सिंह, एमडी जल निगम