पेयजल में प्रभारी व्यवस्था को लेकर भेदभाव, जल निगम में प्रभारी का सिलसिला जारी, जल संस्थान में परहेज, गढ़वाल चीफ बने सुभाष चंद्रा
देहरादून।
पेयजल में प्रभारी व्यवस्था को लेकर भेदभाव जारी है। जहां एक ओर जल निगम में प्रभारी व्यवस्था का सिलसिला लगातार जारी है। दूसरी ओर जल संस्थान में प्रभारी व्यवस्था से परहेज किया जा रहा है। पहले अधीक्षण अभियंता विद्युत यांत्रिक के पद पर तैनाती दी गई। अब मुख्य अभियंता गढ़वाल के पद पर अधीक्षण अभियंता सुभाष चंद्रा को प्रभारी के रूप में जिम्मा दिया गया है।
पेयजल निगम में गढ़वाल मुख्य अभियंता के पद पर प्रभारी व्यवस्था के तहत अधीक्षण अभियंता सुभाष चंद्रा को मुख्य अभियंता गढ़वाल की जिम्मेदारी दे दी गई है। इससे पहले जल निगम में प्रभारी व्यवस्था के तहत अधीक्षण अभियंता बनाए गए थे। दूसरी ओर जल संस्थान में प्रभारी अधीक्षण अभियंता की फाइल शासन में डंप है। जल निगम में मौजूदा समय में स्थायी मुख्य अभियंता के पद पर दो इंजीनियर तैनात हैं। वीसी पुरोहित के पास प्रभारी एमडी की भी जिम्मेदारी है। पूर्व एमडी भजन सिंह 30 सितंबर को रिटायर होने जा रहे हैं। मुख्य अभियंता एनएस बिष्ट 31 अक्तूबर को रिटायर होंगे। नवंबर में जल निगम में कोई भी स्थायी मुख्य अभियंता नहीं रहेगा।
ऐसे में प्रभारी व्यवस्था के तहत सुभाष चंद्र को जिम्मेदारी दी गई। इससे पहले एसई विद्युत यांत्रिक के पद पर भी एक्सईएन अनुज कौशिक और प्रणय पुरोहित को जिम्मेदारी दी गई। प्रभारी व्यवस्था को लेकर एमडी वीसी पुरोहित ने तर्क दिया कि विभाग में स्थायी इंजीनियर न होने के कारण काम चलाऊ व्यवस्था के तहत प्रभारी जिम्मेदारी दी गई। दूसरी ओर जल संस्थान में भी एसई के अधिकांश पद खाली हैं। प्रभारी एसई को लेकर फाइल शासन में डंप है। तर्क दिया जा रहा है कि वरिष्ठता विवाद के कारण प्रभारी एसई नहीं बनाए जा रहे हैं। जबकि जल निगम में सहायक अभियंता पद पर वरिष्ठता के विवाद में हाईकोर्ट नए सिरे से वरिष्ठता तय करने के आदेश दे चुका है। नई वरिष्ठता सूची को लेकर शासन स्तर पर मंथन चल रहा है। जेई पद पर सुप्रीम कोर्ट तक आदेश हो चुके हैं। इसके बाद भी प्रभारी बनाए जा रहे हैं। शासन स्तर के इस भेदभाव को लेकर जल संस्थान इंजीनियरों में रोष है।