जल निगम में प्रभारी एसई बनाते ही मचा घमासान, प्रबंधन की भूमिका पर सवाल उठाते हुए नहीं लिया चार्ज, शासन को गुमराह करने का आरोप
देहरादून।
पेयजल निगम में अधीक्षण अभियंता विद्युत यांत्रिक के दो पदों पर प्रभारी व्यवस्था में इंजीनियरों को दायित्व दिए गए। इन आदेशों के जारी होते ही सम्बन्धित एसई ने प्रमोशन ठुकराते हुए प्रबंधन की भूमिका पर सवाल उठा दिए हैं। जल निगम में अनुज कौशिक को एसई यांत्रिक मंडल देहरादून और प्रवीन राय को एसई यांत्रिक मंडल हल्द्वानी के पद पर प्रभारी व्यवस्था के तहत दायित्व दिया गया है। राय ने प्रबंधन को निशाने पर लेते हुए प्रभारी प्रमोशन को छोड़ दिया।
इस मामले में 45 दिन से उठापठक जारी है। शासन पूर्व में दो बार प्रवीन राय को एसई देहरादून बनाने का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश प्रबंधन को दे चुका था। आरोप है कि हर बार आदेशों पर तत्काल अमल करने की बजाय फाइल को लटकाया गया। दूसरे पक्ष को राजनीतिक घेरेबंदी करने का समय दिया गया। यही वजह रही जो शासन स्तर से निर्देश होने के बाद भी इस मामले में आदेश बनाने में तत्परता नहीं दिखाई गई। मामले को इस कदर उलझा दिया गया कि 45 दिन तक आदेश ही नहीं हो पाए। जिस जल निगम की माली हालत खासी खराब है। योजनाओं के काम अटके हैं। वर्ल्ड बैंक, पेरी अरबन, अमृत, जल जीवन मिशन, नाबार्ड समेत तमाम योजनाओं के काम लटके हुए हैं। वहां एसई देहरादून और हल्द्वानी जैसे दो अहम पद 45 दिन खाली रखे गए।
जिन इंजीनियरों को फील्ड में काम करना था, वो अपनी पोस्टिंग के लिए राजनीतिक घेरेबंदी में जुटे रहे। आखिरकार इस राजनीतिक घेरेबंदी में अधिशासी अभियंता एसोसिएशन के अध्यक्ष अपने सदस्यों से हार गए। देहरादून में तैनाती न मिलने पर प्रवीन राय ने प्रमोशन छोड़ने के अपने निर्णय की जानकारी एमडी जल निगम समेत शासन को भी दे दी है। इस मामले में तर्क दिया जा रहा है कि प्रवीन राय को अभी देहरादून में बामुश्किल तीन साल हुए हैं। जबकि दूसरे प्रभारी एसई को देहरादून में ही साढ़े पांच साल और एक दूसरे एसई को साढ़े नौ साल का समय हो चुका है। प्रबंधन पर सचिव पेयजल को भी गुमराह करने का भी आरोप लग रहा है।
एमडी पुरोहित बोले नहीं लिया किसी का पक्ष
इस विवाद में एमडी वीसी पुरोहित ने कहा कि उन्होंने किसी का पक्ष नहीं लिया है। बल्कि शासन से जो भी निर्देश प्राप्त हुए, उन पर अमल किया गया। उनके लिए सभी इंजीनियर एक समान हैं। अब यदि लोग हल्द्वानी तक ज्वाइन नहीं करेंगे, तो फिर कैसे काम चलेगा।
जल निगम में फिर शुरू हुई धड़ेबाजी
जल निगम में एकबार फिर गुटबाजी शुरू हो गई है। प्रभारी एसई के तैनाती आदेश के विवाद ने इस गुटबाजी को और हवा दे दी है। इस आदेश को लेकर जिस तरह प्रबंधन की भूमिका पर सवाल उठे हैं और शासन को गुमराह करने के आरोप लगे हैं। उस लिहाज से आने वाले समय में यदि एमडी वीसी पुरोहित ने सही तरीके से समन्वय बैठाते हुए जल निगम के हित में निष्पक्ष फैसले नहीं लिए, तो उनके लिए दिक्कत बढ़ सकती है।