एसआईटी ने राज्य सहकारी बैंक के घपलों पर कसा शिकंजा, हल्द्वानी मुख्यालय के खंगाले जा रहे कागजात, कई अफसरों की भूमिका संदिग्ध
देहरादून।
राज्य सहकारी बैंक के घपले, घोटालों की एसआईटी ने जांच पड़ताल शुरू कर दी है। बैंक के हल्द्वानी मुख्यालय में दस्तावेज खंगालने शुरू कर दिए गए हैं। शासन स्तर पर बढ़ती शिकायतों, वित्तीय अनियमितताओं के मामले में एसआईटी जांच के आदेश किए गए थे। जांच शुरू होते ही राज्य सहकारी बैंक के घपलेबाज अफसरों में हड़कंप मचा हुआ है।
राज्य सहकारी बैंक में हुई गड़बड़ियों की 2016 से अभी तक के मामलों की पड़ताल की जा रही है। बैंक का कामकाज पिछले लंबे समय से विवादों में है। कभी आम सभा में बांटे गए डिनर सेट, बैग की खरीद पर सवाल उठे। तो कभी बैंक के ऑनलाइन सिस्टम, सर्वर को बिना मंजूरी कंपनियों को सेवा विस्तार देने का विवाद खड़ा हुआ। अफसरों की लापरवाही से बांटे गए करोड़ों के लोन एनपीए हो गए। इससे बैंक को करोड़ों का नुकसान हुआ। इन तमाम गड़बड़ियों को लेकर पहले रजिस्ट्रार कॉपरेटिव की ओर से 26 फरवरी 2020, दस जुलाई 2020 और 15 जुलाई 2020 के पत्र में जांच का उल्लेख किया गया। इसके बाद सचिव सहकारिता के 21 मई 2020 के पत्र में जांच के निर्देश दिए गए। शासन स्तर से एसआईटी जांच के आदेश के बाद खंडाधिकारी अपराध अनुसंधान विभाग खंड हल्द्वानी नैनीताल के पत्रांक एसआईटी/2020/दिनांक 20 अक्तूबर 2020 की ओर से एसआईटी जांच से जुड़ा पत्र जारी हुआ। एसआईटी के इस पत्र के आधार पर एमडी राज्य सहकारी बैंक से दस्तावेज तलब किए गए। बैंक सूत्रों की माने तो एसआईटी को जांच से जुड़े दस्तावेज सौंप दिए गए हैं।
जांच के दायरे में इन्वेस्टमेंट और लोन घपले के करोड़ों से जुड़े मामले हैं। बैंक के पूर्व अफसरों ने करोड़ों रुपये प्राइवेट कंपनियों पर निवेश किए। ग्राहकों को इस पैसे को कंपनियों में इस मकसद से निवेश किया गया था कि बैंक को मुनाफा होगा। इसका लाभ भविष्य में बैंक के शेयरहोल्डर को मिलेगा। मुनाफा होना तो दूर जो पैसा निवेश किया गया, वो भी डूब गया। बैंक को बड़ा घाटा हुआ। इसी तरह गलत तरीके और मिलीभगत कर बांटे गए करोड़ों के लोन भी एनपीए होने से बैंक को करोड़ों का नुकसान हुआ। एसआईटी को इन्हीं घपलों की जांच के आदेश दिए गए।