दस साल से बिना मंजूरी के राज्य सहकारी बैंक में भर्ती होते रहे नेताओं के चहेते, अब पुरानी बैकडोर भर्ती को मंजूरी नहीं देंगे रजिस्ट्रार, राज्य सहकारी बैंक को 2011 से लेकर हुई भर्तियों की अब मंजूरी मांगने की आई याद, रजिस्ट्रार ने साफ की स्थिति, पुरानी किसी भी भर्ती को अब नहीं दी जाएगी मंजूरी

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दस साल से बिना मंजूरी के राज्य सहकारी बैंक में भर्ती होते रहे नेताओं के चहेते, अब पुरानी बैकडोर भर्ती को मंजूरी नहीं देंगे रजिस्ट्रार, राज्य सहकारी बैंक को 2011 से लेकर हुई भर्तियों की अब मंजूरी मांगने की आई याद, रजिस्ट्रार ने साफ की स्थिति, पुरानी किसी भी भर्ती को अब नहीं दी जाएगी मंजूरी

राज्य सहकारी बैंक को 2011 से लेकर 2022 तक हुई बैकडोर भर्तियों की मंजूरी लेने की सुध अब आई है। बैंक ने रजिस्ट्रार कॉपरेटिव को दस साल के बीच हुई भर्तियों का अनुमोदन देने का पत्र भेजा है। इस पर रजिस्ट्रार ने साफ कर दिया है कि पुरानी किसी भी भर्ती को अब किसी भी तरह का अनुमोदन नहीं दिया जाएगा।
राज्य सहकारी बैंक ने 12 दिसंबर 2011 से लेकर सात जनवरी 2022 के बीच हुई भर्ती की मंजूरी छह मई 2022 को रजिस्ट्रार कार्यालय से मांगी गई। तत्कालीन एमडी ने तर्क दिया कि बैंक को अपनी जरूरत के लिए कर्मचारियों की आवश्यकता थी। इसी जरूरत को पूरी करने के लिए समय समय पर कर्मचारियों को आउटसोर्स, संविदा पर रखा गया। ऐसे में इन कर्मचारियों को कार्योजित किए जााने का अनुमोदन दिया जाए।
छह मई के आए इस पत्र पर रजिस्ट्रार ने कोई कार्रवाई नहीं की है। रजिस्ट्रार की माने तो उन्होंने अभी तक इस तरह का कोई पत्र देखा ही नहीं है। जबकि पत्रांक संख्या 266 के अनुसार ये पत्र छह मई को जारी हो गया था। रजिस्ट्रार आलोक पांडे का कहना है कि दस साल पुरानी भर्ती को वे किस आधार पर अनुमोदन दे सकते हैं। ऐसी किसी भी तरह की कोई मंजूरी नहीं दी जाएगी।

राज्य सहकारी बैंक में भी आज तक नहीं हुई सीधी भर्ती
राज्य गठन के बाद गठित हुए राज्य सहकारी बैंक में 22 सालों में कभी कोई सीधी भर्ती नहीं हुई। इसके बाद भी स्टाफ की संख्या 360 तक पहुंच गई है। इस मामले में भी चौंकाने वाला तथ्य यही है कि 95 प्रतिशत से अधिक कर्मचारियों का सम्बन्ध भाजपा, कांग्रेस के सहकारिता से जुड़े नेताओं और अफसरों के नाते रिश्तेदार और करीबी हैं।

आउटसोर्स पर रखने के दो साल बाद पूरा वेतन, पांच साल बाद पक्के
राज्य सहकारी बैंक में संविदा, आउटसोर्स पर रखे जाने वाले कर्मचारियों को दो साल में ही पद के अनुरूप पूरा वेतन दिया जाता है। पांच साल बाद उन्हें नियमित कर दिया जाता है। बाकायदा इसके लिए बोर्ड से प्रस्ताव पारित कर तय व्यवस्था बना दी गई है।

बैंकों ने बाहर नहीं किए बैकडोर वाले कर्मचारी
रजिस्ट्रार कॉपरेटिव आलोक पांडे ने तीन मई 2022 को सभी बैंकों और सहकारी संस्थाओं के लिए आदेश जारी किए थे कि बिना अनुमोदन वाले कर्मचारियों को बाहर किया जाए। इस आदेश का पालन सिर्फ नाममात्र को ही हो पाया है। सिर्फ कुछ जिला सहकारी बैंकों की नाम मात्र की ब्रांचों से ही कर्मचारी बाहर हुए। ये कर्मचारी भी ऐसे रहे, जिनका कोई राजनीतिक आका नहीं रहा।

सभी सहकारी संस्थाओं को दो टूक शब्दों में स्पष्ट कर दिया गया है कि बिना अनुमोदन वाले कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए। किसी भी प्रकार की कोई प्रक्रिया शुरू करने से पहले अनुमोदन लिया जाए। किसी भी पुराने मामले में अनुमोदन नहीं दिया जाएगा।
आलोक पांडे, रजिस्ट्रार कॉपरेटिव

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