मसूरी में 2052 तक नहीं होगा पानी का संकट, जल निगम ने तलाशी जमीन
सवा करोड़ नहीं महज 12 लाख रुपये में मिलेगी जमीन
जीटी रिपोर्टर, देहरादून
पानी के संकट से अब मसूरी को नहीं जूझना होगा। मसूरी में 2052 तक पेयजल पहुंचाने का इंतजाम जल निगम ने कर लिया है। सबसे बड़ी जमीन की समस्या का समाधान निकाल लिया गया है। जमीन के जिस संकट को अफसर 2016 से नहीं सुलझा पाए थे, उसे नये सचिव पेयजल नितेश झा के निर्देश पर अधीक्षण अभियंता जल निगम सुरेश चंद्र पंत की टीम ने महज एक महीने में ही दूर कर दिया है। सवा करोड़ की बजाय महज 12 लाख में बिना भूमिअधिग्रहण की जटिल, लंबी प्रक्रिया के जमीन जल निगम को मिल गई है।
मसूरी पेयजल योजना के लिए यमुना और खिरागाड़ से पानी लाया जाना है। 2016 में योजना के लिए जमीन खरीदने और प्रोजेक्ट तैयार करने को दो करोड़ जारी हुए। बाद में केंद्र सरकार ने मार्च 2019 में एसपीए में इस योजना को मंजूर किया। जनवरी 2020 में योजना के टेंडर हुए। इसके बावजूद जमीन जुटाने की ओर किसी का ध्यान नहीं गया। मुख्यालय से लेकर शासन स्तर पर सिर्फ टेंडर पर तक ही अफसरों का ध्यान सीमित रहा। ऐसे में जब योजना का निर्माण शुरू करने को कंपनी ने काम शुरू करने का प्रयास किया, तो पता चला कि जहां से योजना शुरू होनी है, पंपिंग स्टेशन, ट्रीटमेंट प्लांट बनने हैं, उसके लिए जमीन ही नहीं है।
ग्रामीणों ने जमीन देने से हाथ खड़े कर दिए। तो अधिग्रहण में जमीन की लागत सवा करोड़ से ऊपर पहुंच रही थी। उस पर अधिग्रहण की लंबी प्रक्रिया से अलग गुजरना पड़ता। इससे योजना एकबार को खटाई में पड़ती नजर आ रही थी। सचिव पेयजल नितेश झा ने अधीक्षण अभियंता एससी पंत को सर्वोच्च प्राथमिकता पर इस मसले का जल्द से जल्द निस्तारण और काम शुरू कराने के निर्देश दिए। निगम ने योजना के लिए जमीन के दूसरे विकल्प तलाशने शुरू किए। आस पास सरकारी और बिना विवाद वाली जमीनों की तलाश हुई। अब जाकर महज 12 लाख में ग्रामीण जमीन देने को तैयार हो गए हैं।
योजना पर एक नजर
148 करोड़ की लागत से मिलेगा 15.64 एमएलडी पानी
12.9 एमएलडी यमुना, 2.74 एमएलडी खिरागाड़ से मिलेगा पानी
7.69 एमएलडी अभी मिल रहा है मसूरी को पानी, आबादी 93 हजार
12.62 एमएलडी अभी की पेयजल जरूरत है मसूरी की