कौन बचा रहा है यूपीसीएल में एनएच 74 बिजली लाइन शिफ्टिंग घपले के असल दोषियों को

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कौन बचा रहा है यूपीसीएल में एनएच 74 बिजली लाइन शिफ्टिंग घपले के असल दोषियों को
यूपीसीएल मैनेजमेंट ने कार्रवाई के नाम पर घोटाला खोलने वाले जेई, एई और एक्सईएन को ही लपेटा
मुख्य अभियंता कुमाऊं की जांच रिपोर्ट में भी गड़बड़ी का हुआ था खुलासा, मुख्यलय स्तर पर हमेशा दबाई गई रिपोर्ट
जीटी रिपोर्टर, देहरादून
एनएच 74 पॉवर लाइन शिफ्टिंग घपले के असल दोषियों के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा जिन जेई, ऐई और एक्सईएन ने इस घपले का खुलासा किया, उन्हें ही प्रबंधन ने लपेट दिया। जबकि एक्सईएन ने कंपनी के स्तर पर की जा रही गड़बड़ियों को लेकर लगातार मैनेजमेंट को आगाह किया, लेकिन मुख्यालय स्तर पर किसी ने कोई तवज्जो नहीं दी। उल्टा शिकायत करने वालों को ही चार्जशीट थमा दी।
रुद्रपुर, सितारगंज में एनएच 74 चौड़ीकरण में बिजली लाइनों की शिफ्टिंग का काम बड़े स्तर पर हुआ। शिकायत आई कि बिजली के पुराने घटिया गुणवत्ता के पोल का इस्तेमाल किया जा रहा है। पुरानी बिजली लाइनों समेत उपकरण भी घटिया लगाए गए। इस मामले की रिपोर्ट अधिशासी अभियंता कई बार मुख्य अभियंता समेत निदेशक परिचालन, प्रबंध निदेशक समेत मैनेजमेंट के तमाम अफसरों को भेजते रहे। इसके बाद भी पूरे मामले को दबाया जाता रहा।
जब पूरा घपला मीडिया की सुर्खियां बना, तो रुद्रपुर, सितारगंज में एनएच 74 बिजली लाइन शिफ्टिंग घपले में तत्कालीन एक्सईएन समेत जेई और एई को ही चार्जशीट थमा दी गई। जबकि इस घपले का खुलासा 2014 से लेकर बाद के वर्षों तक ई ई ने ही किया। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में घटिया काम का भुगतान न किए जाने की संस्तुति एनएच के अफसरों से भी की। पहले तो एक्सईएन के इन पत्रों का संज्ञान यूपीसीएल समेत एनएच के अफसरों ने लिया ही नहीं। एक के बाद एक घटिया कार्य का खुलासा करने वाले पत्र आते रहे। एक सिरे से इस पूरे घपले को दबाया गया।

2014 से चला आ रहा है घपला
पॉवर लाइन शिफ्टिंग में गड़बड़ियां 2014 से चली आ रही हैं। तभी से लगातार मुख्य अभियंता से लेकर मुख्यालय तक शिकायतें हो रही हैं, लेकिन इतने सालों से पूरे मामले को दबा कर रखा गया।

ये हैं गड़बड़ियां
बिजली के पोल में ब्रेसिंग सेट नहीं लगाए गए। स्टे सैट का इस्तेमाल नहीं हुआ। खराब पोल लगाने के साथ ही सही तरीके से ग्राउंटिंग नहीं हुई। जगह जगह पोल टेड़े हो गए हैं। केबिल खराब है। कई जगह केबिल क्षतिग्रस्त होने के बाद भी नहीं बदली गई। पोल को रंग कर लगाया गया है। दूसरे कार्यों में भी गुणवत्ता खराब है।

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