आलाकमान सीएम त्रिवेंद्र के साथ, नाराज चुफाल को नसीहत, क्षेत्र में जाकर करें काम, मंत्री पद और अगला टिकट खिसकते देख बेचैन हैं चुफाल
देहरादून। हर बार की तरह इस बार भी सीएम त्रिवेंद्र रावत सरकार को अस्थिर करने की कोशिश नाकाम रही। दिल्ली, देहरादून में बैठे पर्दे के पीछे के खिलाड़ियों ने इस बार बंदूक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मौजूदा विधायक डीडीहाट बिशन सिंह चुफाल के कंधे पर रखी। इस बार भी केंद्रीय आलाकमान हमेशा की तरह ईमानदार सीएम त्रिवेंद्र के साथ खड़ा रहा। चुफाल को यही नसीहत दी गई कि वो क्षेत्र में जाकर काम करें, ऐसा न होने पर 2022 में विधानसभा का टिकट तक खटाई में पड़ सकता है।
सरकार को अस्थिर करने में जुटे एक भगवा गुट ने चुफाल की एक अफसर से नाराजगी की खबर को इस कदर तूल दिया गया कि पूरे मसले को विधायकों की सीधे सीएम त्रिवेंद्र रावत से नाराजगी से जोड़ कर दिखाया जाने लगा। 18 मार्च 2017 के बाद से ही शुरू हुए ऐसे सियासी खेल की अगली कड़ी के रूप में एकबार फिर सरकार हिलाने का ऐसा सियासी सीन तैयार किया गया कि जैसे अब मौजूदा सरकार के गिनती के दिन शेष हों। अपने बीमार भाई को दिल्ली देखने और लगे हाथ केंद्रीय नेताओं से मिलने पहुंचे चुफाल की बुधवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात हुई। इस मुलाकात को लेकर दिन भर सियासी हलकों में हंगामा मचाने के प्रयास होते रहे।
जबकि हकीकत ये रही कि चुफाल के इस तरह कोरोना संकट के दौर में दिल्ली आकर माहौल न खराब करें। नाम न छापने की सत्र पर एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि चुफाल 70 पार हो गए हैं। विधानसभा में सक्रियता भी कम है। इसलिए उन्हें लग रहा है कि अगली बार कहीं टिकट न कट जाए। इसलिए मंत्री बनने की चाहत में वह ऐसा कर रहे हैं। साथ ही उनके शार्गिदों का भी क्षेत्र में अब वो जलवा नहीं रहा। इसका भी दवाब उनके ऊपर है।
खिसक रही है चुफाल की सियासी जमीन
बिशन सिंह चुफाल की बेचैनी की एक वजह, उनकी खिसकती सियासी जमीन है। जिला पंचायत चुनाव में वे अपनी बेटी तक को नहीं जिता पाए। मंत्रीमंडल विस्तार में भी उनकी जगह बलवंत सिंह भौर्याल समेत सुरेंद्र सिंह जीना के नाम की चर्चा ज्यादा है। ऐसे में मंत्री पद और 2022 का टिकट हाथ से खिसकता देख चुफाल अपनी सियासी पारी को संभालने के लिए माहौल बनाने में लगे हैं। विरोध अफसर से ज्यादा मंत्रीपद के लिए लॉबिंग करना ज्यादा है।
लंबे समय से सजाई जा रही थी फिल्डिंग
सरकार को अस्थिर करने, माहौल खराब करने को लेकर लंबे समय से फिल्डिंग सजाई जा रही थी। पहले विधायक हॉस्टल की समस्या को लेकर स्पीकर प्रेमचंद से मिलने वाले विधायकों की शिकायतों को सरकार से नाराजगी से जोड़ कर दिखाया गया। अगले दिन स्पीकर ने विधायक हॉस्टल पहुंचना था, लेकिन ऐन मौके पर कार्यक्रम टल गया। तब पहले से स्पीकर के स्वागत को तैयार सभी विधायक देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी के यहां जुटे, तो भी उसे सरकार के विरोध से जोड़ कर प्रचारित किया गया। इसका विनोद कंडारी ने जोरदार खंडन भी किया। अब विधायक फर्त्याल और चुफाल को लेकर माहौल तैयार किया गया। विधायकों की नौकरशाही से नाराजगी को मुख्यमंत्री से नाराजगी से जोड़ कर दिखाया गया। चुफाल की राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात की फोटो को वायरल किया गया। वहीं भाजपा सूत्रों का कहना है कि आलाकमान कोरोना संकट में चुफाल के अपनी ही सरकार खिलाफ मोर्चा खोलने से नाराज़ है।
कौशिक, सुबोध ने अफवाहों को नकारा
सरकारी प्रवक्ता कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक और कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने अफवाहों का खंडन किया। कहा कि 57 विधायकों की सरकार को कौन अस्थिर कर सकता है। सरकार में कहीं कोई अस्थिरता नहीं है। झूठी और बेवुनियाद बातें हैं। सरकार पूरी मजबूती से त्रिवेन्द्र रावत के नेतृत्व में काम कर रही है और पूरे पांच साल प्रदेश के विकास के लिये कार्य करती रहेगी। कौशिक ने कहा कि अपने विधानसभा क्षेत्र के विकास कार्यों के लिये विधायक कहते हैं, मैं भी कहता हूं, पूरी मजबूती से कहता हूं। इसको नाराजगी से जोड़ लेना गलत है। जितने काम मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में पिछले साढ़े तीन साल में हुए हैं, उतने काम पिछले 20 सालों में भी नहीं हुए हैं। सरकार प्रदेश के विकास का संकल्प लेकर कार्य करने में लगी हुई है। त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में एक पारर्दशी सरकार काम कर रही है। मदन कौशिक ने कहा कि यह कुछ मीडिया और सोशल मीडिया के दिमाग की उपज है। कहीं कोई अस्थिरता वाली बात नहीं है।