सीएम की नजर टेड़ी होते ही पॉवर सेक्टर के घपलों पर बैठी जांच, दो पूर्व एमडी भी निशाने पर
छिबरो, डाकपत्थर, खोदरी पॉवर हाउस में हुए कार्यों की होगी जांच, अरुणेंद्र सिंह चौहान जांच अधिकारी
जीटी रिपोर्टर, देहरादून
पॉवर सेक्टर में हुई गड़बड़ियों पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के सख्ती दिखाते ही शासन भी हरकत में आ गया है। यूजेवीएनएल में हुए घपलों, वित्तीय अनियमितता की जांच अपर सचिव अरुणेंद्र सिंह चौहान को सौंप दी गई है। जांच छिबरो, डाकपत्थर, खोदरी में 2016 से 2019 के बीच हुए कार्यों की होगी। इस जांच के दायरे में दो एमडी, कई निदेशक समेत कई दूसरे अफसर आएंगे।
तीन सालों में हुए 95.86 करोड़ के कार्यों पर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने भी अपने 21 मार्च 2018 के आदेश में सवाल उठाए थे। सीएम त्रिवेंद्र रावत ने पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच के निर्देश दिए। अपर सचिव ऊर्जा भूपेश तिवारी ने जांच अधिकारी अरुणेंद्र सिंह चौहान को नामित किए जाने के आदेश किए गए। एक महीने में जांच पूरी करनी होगी।
जांच 2016-17, 2017-18 और 2018-19 के बीच हुए कार्यों की होगी। इस जांच के दायरे में तत्कालीन एमडी यूजेवीएनएल एसएन वर्मा, तत्कालीन निदेशक परिचालन और पूर्व एमडी यूपीसीएल बीसीके मिश्रा समेत कई अन्य निदेशक ऑपरेशन, महाप्रबंधक और अन्य अफसर भी आएंगे। नियामक आयोग ने भी अपने आदेश में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की ओर इशारा किया था। तत्काल इस प्रकरण पर कार्रवाई करते हुए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए थे। हालांकि इस पर कुछ नहीं हुआ।
सवालों के घेरे में सेंट्रल परचेज कमेटी
तीनों पॉवर हाउस में हुई गड़बड़ियों को लेकर नियामक आयोग ने सेंट्रल पॉवर परचेज कमेटी की भूमिका पर भी सवाल उठाए थे। इस कमेटी ने शासन की तय प्रिक्योरमेंट पॉलिसी का पालन नहीं किया। मानकों को ताक पर रख कर खरीद प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के भी आरोप हैं।
ये हैं आरोप
छिबरो, डाकपत्थर, खोदरी पॉवर हाउस में तय लागत से कहीं अधिक खर्च किया गया। सामान्य बाजार दर से कहीं अधिक महंगा सामान खरीदा गया। यूपीसीएल, पिटकुल में खरीदी गई बंच केबिल के दाम से कहीं अधिक महंगे दाम पर केबिल खरीदने का आरोप है। आयोग ने वेंटिलेशन उपकरण, स्विच यार्ड ब्रेकर की खरीद पर भी सवाल उठाए। इन पॉवर प्रोजेक्ट का एक हजार करोड़ से ज्यादा के आरएमयू मंजूर होने के बाद भी सालाना मेंटनेंस के नाम पर करोड़ों खर्च किए गए।
सोलर पॉवर में भी विवाद
ढालीपुर में कैनाल किनारे लगाए गए सोलर पॉवर प्रोजेक्ट के लिए बनाए गए सब स्टेशन को लेकर भी यूजेवीएनएल प्रबंधन की भूमिका पर सवाल उठते रहे हैं। 24 करोड़ की लागत के इस सब स्टेशन का निर्माण स्वयं सोलर पॉवर प्रोजेक्ट लगाने वाली कंपनी को करना था, लेकिन आरोप है कि यूजेवीएनएल ने स्वयं ही अपना बजट लगा कर इस निर्माण को कर दिया। इस पर भी सवाल उठाए गए हैं।