राज्य में कृषि भूमि पर आसानी से तैयार हो सकेंगी विकास योजनाएं, कैबिनेट ने विकास प्राधिकरण के मास्टर प्लान वाले क्षेत्रों में धारा 143 की बाध्यता खत्म किए जाने को दी मंजूरी
जीटी रिपोर्टर, देहरादून
राज्य में अब कृषि भूमि पर आसानी से विकास योजनाएं तैयार हो सकेंगी। कैबिनेट ने विकास प्राधिकरण के मास्टर प्लान वाले क्षेत्रों में धारा 143 की बाध्यता खत्म किए जाने को मंजूरी दे दी। राज्य में विकास प्राधिकरण के दायरे में आने वाले ऐसे क्षेत्र जहां मास्टर प्लान लागू हो गया है, वहां कृषि भूमि को अकृषि कराने को धारा 143 की बाध्यता को खत्म कर दिया गया है।
इसके लिए उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 में संशोधन करते हुए अधिनियम की धारा 143(ख) जोड़ दी गई है। इसके तहत अब मास्टर प्लान वाले इलाकों में कृषि भूमि पर विकास योजनाओं के लिए कृषि भूमि को धारा 143 के तहत अकृषि कराने की जरूरत नहीं होगी। अभी राज्य में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, ट्रचिंग ग्राउंड, बिजली सब स्टेशन, सुलभ शौचालय, बस अड्डा, पार्क, बहुउद्देशीय भवन निर्माण के लिए कृषि भूमि को अकृषि कराना जरूरी होता था। इस प्रक्रिया में बहुत अधिक समय लगता था। इस समस्या को दूर करने पर 15 अक्तूबर 2019 को सचिव समिति की बैठक में चर्चा हुई।
प्रमुख सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में एक उप समिति का गठन हुआ। उपसमिति में सचिव बीएस मनराल, सुशील कुमार, नितेश झा सदस्य बनाए गए। समिति ने अपनी रिपोर्ट में विकास प्राधिकरण के मास्टर प्लान लागू वाले क्षेत्रों में धारा 143 जेडएलआर एक्ट को ही समाप्त किए जाने पर जोर दिया गया। कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि कैबिनेट ने अधिनियम में धारा 143 में धारा 143(ख) जोड़ने पर मुहर लगाई। इससे अब विकास योजनाओं के लिए राजस्व विभाग की एक लंबी प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा। विकास से जुड़ी योजनाओं के लिए भूमि उपलब्ध कराने का काम तेजी के साथ पूरा हो सकेगा।