राज्य की नौकरशाही में सीधा टकराव, मुखिया ने भेजा नोटिस, मिला करारा जवाब, बैकफुट पर आए मुखिया
जीटी रिपोर्टर, देहरादून
राज्य के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह के रिटायर होने के बाद जिस चीज का अंदेशा जताया जा रहा था, आखिरकार वही हुआ। कई गुटों, धड़ों में बिखरी हुई नौकरशाही के बीच अंदरखाने चल रही खींचतान सतह पर आ गई है। एक बैठक में मौजूद न रहने पर सबसे ताकतवर समझी जानी वाली एक आईएएस दंपत्ति को नौकरशाही के बड़े साहब की ओर से नोटिस दिया जाता है। नोटिस में बैठक में शामिल न होने पर कारण तलब किया जाता है। जिस तेजी से दनदनाते हुए ये लेटर मुखिया की ओर से भेजा गया, उसी तेजी के साथ जवाब भी मुखिया तक पहुंचा। इस जवाब ने उन्हें बैकफुट पर लाकर खड़ा कर दिया है।
पूरा प्रकरण 11 अगस्त को शासन में उच्च स्तर पर हुई एक बैठक से जुड़ा है। इस बैठक में एक आईएस दंपत्ति की गैरमौजूदगी को गंभीरता के साथ नोटिस किया गया। उन्हें नोटिस दिया गया। नोटिस देकर दबाव बनाने और अपने होने, नए निजाम का अहसास कराया गया। नोटिस जारी करने वाले अफसर को उम्मीद थी कि दंपत्ति उनके सामने संरेडर कर देंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उल्टा दंपत्ति की ओर से भी एक करारा पत्र जारी किया गया। जवाबी पलटवार करते हुए लिखा गया कि जिस बैठक में शामिल न होने पर उन्हें नोटिस दिया गया है, उसकी उन्हें कोई जानकारी ही नहीं दी गई। 11 अगस्त की बैठक की जब जानकारी ही नहीं दी गई, तो उन्हें कैसे बैठक में शामिल न होने का कसूरवार माना जा रहा है।
जारी किए गए पत्र को उनकी प्रतिष्ठा प्रभावित करने वाला बताया गया। इस करारे जवाब की बड़े साहब को उम्मीद नहीं थी। पड़ताल कराई गई, तो मालूम चला कि वाकई दंपत्ति को बैठक का बुलावा ही नहीं भेजा गया। मामला बड़े दरबार तक पहुंचा। इसका असर ये हुआ कि दंपत्ति को पत्र जारी करने वाले आला अफसर को अपना पत्र निरस्त कर मन मनोस कर रहना पड़ा। सीधे टकराव के इस ताजा पहले मामले में चोट खाए आला अफसर अब नए मौके के इंतजार में हैं। जानकारों की माने तो 30 जुलाई को नौकरशाहों के दायित्वों में बड़े पैमाने पर हुए फेरबदल ने भी जंग के बीच बोने का काम किया था। इस टकराव के बाद नौकरशाही में नये सिरे से धड़ेबाजी, खेमेबाजी के चरम पर पहुंचने और आने वाले समय में एक दूसरे पर हमले तेज होने की संभावना बढ़ गई है। हमले की जद में दोनों खेमों के छोटे, नये नवेले नौकरशाहों के आने की ज्यादा संभावना है।