देहरादून। जिला योजना पर मचे घमासान के बीच कुछ जिलों में अंतिम किश्त के रूप में मिले बजट को खर्च करने से फिलहाल रोक दिया गया है। हालांकि ज्यादातर जिलों में पिछले बजट को कोरोना बचाव और पीआरडी कर्मियों के वेतन पर खर्च कर दिया है।
प्रदेश सरकार ने गत सप्ताह ही जिला योजना में 110 करोड़ रुपये की राशि जारी की है। इस बीच शुक्रवार को हाईकोर्ट ने इस बजट को खर्च करने से रोक लगा दी है। कुछ जिलों में बजट खर्च भी हो गया है। पौड़ी जिले को इस मद में 30 करोड़ की राशि मिली है, इसका आवंटन अभी चल ही रहा है। जिला अर्थ एवं संख्या अधिकारी संजय शर्मा ने बताया है कि कृषि, उद्यान और पेयजल आदि योजनाओं के लिए बजट जारी किया गया है। साथ ही पीआरडी स्वयं सेवकों के वेतन के लिए भी बजट जारी किया गया है। देहरादून की सीडीओ नितिका खंडेलवाल ने बताया कि दून में जिला योजना की पहली किश्त के रूप में 16 करोड़ रुपये मिले। इसमें से करीब सात करोड़ रुपये कर्मचारियों की सैलरी पर खर्च किया जा चुका है। टिहरी में भी प्राप्त 9.38 करोड़ के बजट में से कुछ रकम खर्च हो चुकी है। हरिद्वार और चमोली में अभी योजना बन ही रही है।
कुमाऊं मंडल का हाल
कुमाऊं के जिलों को पिछली तीन किस्तों में मिले जिला योजना के बजट को कोविड रोकथाम व पीआरडी, उपनल तथा जल संस्थान के संविदा कर्मियों के वेतन में खर्च किया गया है। नैनीताल जनपद को जिला योजना की आखिरी किश्त के रूप में 7 करोड़ रुपये मंजूर किए गए। हालांकि यह पैसा अभी मिला नहीं है। जबकि पिछली तीन किश्तों में मिले 10.5 करोड़ को कोविड-19 बचाव, पीआरडी के मानदेय खर्च किया गया है। चम्पावत के जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी एनबी बचखेती ने बताया कि चम्पावत में जिला योजना से इस बार तीन किश्तों में 8.95 करोड़ रुपये मिले थे। डीपीसी बैठक नहीं होने पर जिला प्रशासन ने प्रभारी मंत्री की अनुमति लेकर 7.69 करोड़ रुपये अलग-अलग विभागों के खातों में ट्रांसफर कर दिए थे। इसमें से पीआरडी, उपनल आदि विभागों के कर्मियों के वेतन के लिए करीब ढाई करोड़ रुपये भी शामिल थे। पिथौरागढ़ में जिला योजना के लिए प्राप्त 18.71 करोड़ रुपये के बजट में से वेतन के लिए 3.7 करोड़ रुपये अलग-अलग विभागों के खातों में ट्रांसफर किए हैं। ऊधमसिंह नगर, अल्मोड़ा और बागेश्वर ने अंतिम किश्त खर्च करने पर रोक लगा दी है।
कोरोना के बीच महाराष्ट्र विधान परिषद और राज्यसभा का चुनाव सम्पन्न हुआ है। सिर्फ उत्तराखंड में डीपीसी चुनाव के लिए कोरोना का बहाना क्यूं बनाया जा रहा है। जबकि इसमें चुनिंदा लोग ही भाग लेते हैं। मतदान को छोड़कर शेष प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। राज्य निर्वाचन आयोग को चाहिए की वो अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी को निभाते हुए, मतदान कराए।
प्रदीप भट्ट, अध्यक्ष, जिला पंचायत सदस्य संगठन और याचिकाकर्ता
इसलिए महत्वपूर्ण है जिला योजना
जिला योजना के बजट से सड़क, पेयजल लाइन, स्कूल सहित बुनियादी सुविधाओं से जुड़े काम किए जाते हैं। यह पैसा कहां और किस मात्रा में खर्च होगा यह जिला योजना समिति तय करती है। जिसमें जिला पंचायत और निकाय के निर्वाचित प्रतिनिधि शामिल होते हैं। इस बार कोरोना के चलते जिला योजना समिति के चुनाव नहीं हो पाए थे। इस कारण सरकार ने प्रभारी मंत्री की संस्तुति पर जिलाधिकारी को बजट खर्च करने का अधिकार दे दिया है। जिस पर निवार्चित सदस्यों ने एतराज जताया है।