जनता का एक पोल न बदलने वाले यूपीसीएल के इंजीनियरों ने बिल्डरों के लिए फ्री में बिछा दी लाइनें, लगा दिए ट्रांसफार्मर, बैठी जांच, कई इंजीनियरों की भूमिका सवालों के घेरे में 

0
451

जनता का एक पोल न बदलने वाले यूपीसीएल के इंजीनियरों ने बिल्डरों के लिए फ्री में बिछा दी लाइनें, लगा दिए ट्रांसफार्मर, बैठी जांच, कई इंजीनियरों की भूमिका सवालों के घेरे में

देहरादून।

आम आदमी को एक पोल के लिए नाच नचा देने वाले यूपीसीएल के इंजीनियरों ने बिल्डरों पर दिल खोल कर मेहरबानी दिखाई। फ्री में अवैध प्लाटिंग, कालोनियों में सरकारी बजट से लाइनें खड़ी कर दी। ट्रांसफार्मर लगा दिए। काम्प्लेक्स में भी यही सिलसिला जारी रखते हुए बिल्डरों पर मेहरबानी जारी रखी। हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल होने पर प्रबंधन की नींद टूटी और जांच बैठा दी गई।
अपने घर तक लाइन पहुंचाने को एक पोल लगाना हो या अपने प्लॉट पर आए बिजली के एक पोल को शिफ्ट कराना हो, तो ऊर्जा निगम के इंजीनियर उसे दिन में तारे दिखा देते हैं। दूसरी ओर बिल्डरों, कालोनाइजरों के लिए अवैध प्लाटिंग पर बिजली लाइन बिछाने के साथ ट्रांसफार्मर तक लगा दिए जाते हैं। इसकी एवज में कोई चार्ज तक नहीं लिया जाता। सालों से चल रहे इस गोलमाल के खिलाफ जब हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल हुई, तो ऊर्जा निगम की नींद टूटी। मुख्य अभियंता रुद्रपुर की अध्यक्षता में एक जांच समिति बनाई गई।
अवैध कालोनियों में ऊर्जा निगम की ओर से बिना मंजूरी लिए बिछने वाली लाइनों के खिलाफ दायर जनहित याचिका में एलटी विनियम 2013 के प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया। आरोप रहा कि काम्प्लेक्स, कालोनियों में बिछी लाइनों, ट्रांसफार्मर लगाने में बड़ी गड़बड़ी कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया। इस पर मुख्य अभियंता एमएल प्रसाद की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है।

इन सवालों पर घिरेंगे आरोपी
क्या नियमों के विपरीत जाकर नवनिर्मित कालोनियों, विकसित कालोनियों में, व्यवसायिक काम्प्लेक्स में विद्युतीकरण का काम हुआ
क्या इसके लिए सम्बन्धित बिल्डरों से पूरा पैसा जमा कराया गया।
यदि कालोनियों में विद्युतीकरण का काम स्वयं बिल्डरों ने किया है, तो क्या उनसे 15 प्रतिशत सुपर विजन चार्ज जमा हुआ
एलटी विनियम 2013 लागू होने से 2019-20 के बीच कुल कितनी नवनिर्मित, विकसित कालोनियों, काम्प्लेक्स में विद्युतीकरण का काम हुआ

अधीक्षण अभियंता की रिपोर्ट दबाई
देहरादून। इन्हीं गड़बड़ियों के मामलों में पूर्व में अधीक्षण अभियंता काशीपुर से भी जांच कराई गई थी। एसई की रिपोर्ट में भी खुलासा हुआ था कि गलत तरीके से कालोनियों, काम्प्लेक्सों में लाइन बिछाई गई। न ही किसी स्तर पर इसकी मंजूरी ली गई। न ही विभाग में पैसा जमा कराया गया, न ही सुपर विजन चार्ज जमा हुआ। कई इंजीनियरों की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए। हालांकि इस जांच रिपोर्ट से पूर्व एमडी संतुष्ट नहीं हुए। इस बीच पूर्व एमडी के रिटायर होने पर नये एमडी ने नये सिरे से जांच बैठाई।

यहां यहां हुई गड़बड़ियां
जसपुर सब डिवीजन क्षेत्र में सात अवैध प्लाटिंग पर बिछी लाइन, लगे ट्रांसफार्मर
बाजपुर सब डिवीजन क्षेत्र में पांच अवैध प्लाटिंग वाले क्षेत्र में बिजली लाइन, ट्रांसफार्मर लगे
गदरपुर सब डिवीजन क्षेत्र में 15 अवैध प्लाटिंग वाले क्षेत्र में हुआ गोलमाल
हल्द्वानी कमलुआगांजा सब डिवीजन क्षेत्र में करीब 20 प्लाटिंग में बिछा दी गई लाइन
हल्द्वानी ट्रांसपोर्टनगर सब डिवीजन क्षेत्र में 30 प्लाटिंग क्षेत्रों में बिछाए गए पोल
रामनगर में बेलपड़ाव उपकेंद्र में करीब 20 अवैध प्लाटिंग क्षेत्र में बिछी लाइन
रामनगर सब डिवीजन क्षेत्र में सात आवासीय कालोनियों में बिछी लाइनें

क्या है नियम
किसी भी नई कालोनी में ट्रांसफार्मर की मंजूरी के लिए मुख्यालय में निदेशक से लेकर एमडी तक की मंजूरी जरूरी
कालोनी में बिजली की लाइन, पोल यदि ऊर्जा निगम बिछाता है ,तो पूरा पैसा बिल्डर को जमा करना होता है
यदि कालोनाइजर स्वयं लाइन बिछाता है, तो 15 प्रतिशत सुपरविजन चार्ज जमा कराना होगा, उसकी भी मंजूरी लेनी होगी
इस स्थिति में ट्रांसफार्मर की भी पूरी कीमत जमा करनी होगी, अन्य काम अपने खर्चे पर करने होंगे

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here