एससी एसटी एम्प्लाईज फैडरेशन ने मांगे पूना पैक्ट के तहत तय अधिकार, पदोन्नति में आरक्षण बहाली की मांग
देहरादून।
उत्तराखंड एससी एसटी इम्प्लाईज फैडरेशन ने 1932 के पूना एक्ट के तहत तय प्रावधानों का शत प्रतिशत लाभ देने की मांग की। कहा कि पदोन्नति में आरक्षण, निजी क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था समेत पूना पैक्ट के तमाम प्रावधानों को शत प्रतिशत लागू कराने को एससी एसटी इम्प्लाईज फैडरेशन ने दबाव तेज कर दिया है। प्रदेश भर में उत्तराखंड एससी एसटी इम्प्लाईज फैडरेशन से जुड़े कर्मचारियों ने जिलाधिकारियों के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजे।
फैडरेशन से जुड़े कर्मचारी तय कार्यक्रम के तहत प्रदेश भर के जिला मुख्यालयों में जुटे। देहरादून समेत सभी जिला मुख्यालयों में ज्ञापन दिए गए। फैडरेशन के अध्यक्ष करमराम ने कहा कि आजादी के बाद देश में पिछड़े वर्ग का उत्थान सुनिश्चित करने को 24 सितंबर 1932 को पूना की यरवदा सेंट्रल जेल में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बीच समझौता हुआ। इस पूना पैक्ट के तहत ही आज पिछड़े, दलित, ओबीसी वर्ग को आरक्षण का लाभ मिल पाया है। इसके बावजूद आजादी के 70 सालों बाद, आज भी कई क्षेत्रों में पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व शून्य है। सरकारी, अर्द्धसरकारी, निजी संस्थानों में आरक्षण का विरोध हो रहा है। दूसरी ओर सार्वजनिक संस्थाओं की भूमिका को सीमित करते हुए उनका निजीकरण हो रहा है।
महासचिव हरि सिंह ने कहा कि जिन संस्थानों में आरक्षण की व्यवस्था नहीं है, वहां एससी एसटी वर्ग का प्रतिनिधित्व शून्य या न्यूनतम स्तर पर है। ये सीधे तौर पर पूना पैक्ट का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि पूना पैक्ट के तहत तय प्रावधानों का शत प्रतिशत लाभ दिया जाए। प्रमोशन में आरक्षण का लाभ दिया जाए। सरकारी, अर्द्धसरकारी, निजी संस्थानों में संविधान के अनुसार तय प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए। जिन क्षेत्रों, सार्वजनिक संस्थाओं का निजीकरण किया जा रहा है, उन क्षेत्रों में भी आरक्षित वर्गों को अधिकार दिया जाए।