कर्मचारी कार्य बहिष्कार पर, कैसे पूरा होगा जल जीवन मिशन का टारगेट, 91 करोड़ का इंसेटिव दिलाने वाले कर्मचारियों को ही छह महीने से वेतन नहीं
देहरादून।
जल जीवन मिशन का टारगेट पूरा करने का जिम्मा जिन कर्मचारियों के ऊपर है, वे कार्यबहिष्कार पर है। ऐसे में जल जीवन मिशन का टारगेट अधर में लटकता नजर आ रहा है। स्वजल कर्मचारियों का आंदोलन लंबा खींचने पर इसका सीधा असर जल जीवन मिशन पर पड़ना तय है। देहरादून, चमोली को छोड़ कर बाकि जिलों में स्वजल के स्तर पर भी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। योजनाओं की डीपीआर बनाने से लेकर फील्ड सर्वे का काम किया जा रहा है। कार्य बहिष्कार लंबा खिंचने का सीधा असर योजनाओं पर पड़ सकता है।
स्वजल कर्मचारियों को छह महीने से वेतन और एक साल से सेवा विस्तार नहीं मिला है। इसके विरोध में स्वजल कर्मचारी संघ ने प्रदेश भर में कार्यबहिष्कार शुरू कर दिया है। संघ की शिकायत है कि जिन कर्मचारियों की बदौलत राज्य सरकार को केंद्र से 91 करोड़ का इंसेटिव मिला है, उन्हें ही वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। शासन के रवैये के विरोध में गुरुवार से प्रदेश भर में कर्मचारियों ने कार्यबहिष्कार शुरू कर दिया है। स्वजल कर्मचारियों का सेवा विस्तार अगस्त 2019 से लटका हुआ है। वित्त विभाग की ओर से एक साल से फाइल को लटका कर रखा गया है। फरवरी 2020 के बाद से कर्मचारियों को अभी तक वेतन नहीं दिया गया है। अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव और महामंत्री अरविंद पयाल ने कहा कि कर्मचारियों ने कोरोना काल में भी दिन रात मेहनत कर फील्ड में बेहतर नतीजे दिए। स्वच्छ भारत मिशन में कर्मचारियों के इन्हीं कार्यों की सराहना करते हुए केंद्र सरकार ने 91 करोड़ की प्रोत्साहन राशि तक दी। इसके बाद भी कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जा रहा है।
संघ पदाधिकारियों ने वित्त विभाग की नकारात्मक भूमिका पर सवाल उठाए। कहा कि प्रशासनिक विभाग की ओर से कई बार सेवा विस्तार की फाइल वित्त को भेजी जा चुकी है। इसके बाद भी फाइल पर बेवजह की आपत्तियां लगा कर परेशान किया जा रहा है। इसका सीधा असर फील्ड में काम कर रहे, कर्मचारियों के मनोबल पर पड़ रहा है। मजबूरी में कर्मचारियों को कार्यबहिष्कार का फैसला लेना पड़ा है। जब तक वेतन भुगतान की नियमित व्यवस्था सुनिश्चित नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा।