मार्च में उठेगा सिडकुल घोटाले से पर्दा, नपेंगे करोड़ों का गोलमाल करने वाले अफसर
एसआईटी की जांच का आईजी गढ़वाल ने किया ब्यौरा तलब, आईजी के स्तर पर लगातार की जा रही है समीक्षा, 21 अगस्त को फिर बुलाए अफसर
जीटी रिपोर्टर, देहरादून
राज्य के बहुचर्चित सिडकुल घोटाले से मार्च 2021 में पर्दा उठेगा। उम्मीद यही जताई जा रही है कि करोड़ों का गोलमाल करने वाले अफसरों पर घोटाले की गाज गिरेगी। आईजी गढ़वाल अभिनव कुमार ने भी जांच टीम के सदस्यों के सामने मार्च 2021 तक जांच पूरी करने का लक्ष्य रख दिया है।
आईजी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जांच टीम के सदस्यों से बात की। बताया कि घोटाले के मामले में 335 प्रकरणों की जांच होनी है। कुछ की जांच तेजी से चल रही है जबकि कुछ की बेहद धीमी है। आईजी ने वर्ष 2012 के प्रकरणों में भी अपेक्षाकृत प्रगति नहीं होने पर नाराजगी जताई। आईजी एसआईटी को निर्देश दिया कि टीम में शामिल इंस्पेक्टर या उपनिरीक्षक प्रत्येक महीने दो प्रकरणों की जांच कर निस्तारण करेंगे। इसकी समीक्षा भी की जाएगी। हर जिले की टीम अपने इंजीनियर, वित्त और जिला शासकीय अधिवक्ता से जरूरी राय लेकर अग्रिम कार्रवाई करेगी। उन्होंने बताया कि जांच पूरी करने के लिए मार्च 2021 तक का लक्ष्य रखा गया है। जांच पूरी होने पर शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी। बताया कि 21 अगस्त को पुन: एसआईटी द्वारा की गई जांचों की समीक्षा होगी। कर्मचारियों के रिटायर होने के बाद भी जांच में जवाबदेही तय होगी।
यह है घपला
वर्ष 2012 से वर्ष 2017 के बीच सिडकुल द्वारा उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों में निर्माण कार्य कराये गये थे। आरोप है कि इसमें मानकों के विपरीत उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को ठेके दिये गये थे। उपरोक्त निर्माण कार्यों का ऑडिट कराये जाने पर घोर अनियमितता व सरकारी धन के दुरुपयोग, वेतन निर्धारण व विभिन्न पदों पर भर्ती संबंधित अनियमितता सामने आई थी। इस पर शासन ने 2019 में आईजी गढ़वाल के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया था।
जांच में इन पहलुओं की होगी पड़ताल
-निर्माण कार्यों का टेंडर हुआ या नहीं
-नियुक्ति प्रक्रिया मानकों के तहत हुई या नहीं
-नियुक्ति प्रक्रिया में परीक्षा, साक्षात्कार की प्रक्रिया नियमों के तहत हुई या नहीं
-प्रक्रिया में मनमानी तो नहीं अपनाई गई
-काम पूरा होने पर उसकी गुणवत्ता जांची गई या नहीं और वर्तमान स्थिति क्या है
-नियुक्ति प्रकरण में कितने पद स्वीकृत थे
-प्रक्रिया के तहत काम स्वीकृत हुए या नहीं
-शासन स्तर या निचले स्तरपर काम स्वीकृत हुए
-प्रमाण पत्रों की जांच की गई या नहीं