त्रिवेंद्र सरकार के खाते जुड़ी एक और बड़ी उपलब्धि, 99 मेगावाट का पॉवर प्लांट तैयार, सिंगोली-भटवारी हाइडल पावर प्लांट टरबाइन के घूमे पहिए, एक महीने में चार्ज होगी ट्रांसमिशन लाइन
देहरादून।
उत्तराखंड में 99 मेगावाट का पॉवर प्लांट बिजली उत्पादन को तैयार हो गया है। इसकी घोषणा पॉवर प्रोजेक्ट तैयार करने वाली लार्सेन एंड टुब्रो ने की। 99 मेगावाट के सिंगोली-भटवारी हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्लांट शुरू किये जाने की 100 प्रतिशत तैयारी पूरी हो गई है। सालाना 400 मिलियन यूनिट का उत्पादन होगा। कंपनी ने इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में उत्तराखंड सरकार से मिले सहयोग के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का विशेष आभार जताया।
एमडी एलएंडटी ने कहा कि प्रोजेक्ट को पूरा करने की निर्धारित अवधि को आवश्यकतानुसार बढ़ाकर इसे पूरा करने में सरकार ने विशेष सहयोग दिया। उत्तराखंड की पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी पिटकुल ने प्रोजेक्ट साइट से लेकर नजदीकी सब स्टेशन के बीच 75 किमी की दूरी को जोड़ने वाले अब तक के तीव्रतम ट्रांसमिशन लाइंस में से एक को चलाकर इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में सहायता की।
रूद्रप्रयाग से लगभग 25 किमी दूर ये पॉवर प्लांट उखीमठ के पास तैयार किया गया है। इसमें 12 किमी लंबी हेडरेस सुरंग और 180-मीटर से अधिक गहरे सर्ज शैफ्ट से जुड़ा है। इस प्रोजेक्ट में पुनर्वास एवं पुनर्वासन से जुड़ी कोई भी समस्या नहीं रही। इस प्लांट में 33 मेगावाट वाले तीन-तीन वॉयथ टर्बाइन जेनरेटर्स की इकाइयां हैं, जो उत्कृष्ट स्विचयार्ड से लैस हैं। यह नवीनतम सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्विजिशन (एससीएडीए) टेक्नोलॉजी से नियंत्रित है। लार्सेन एंड टुब्रो के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक एसएन सुब्रह्मण्यन ने कहा कि तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद इस प्रोजेक्ट को तैयार किया गया है। इस प्रोजेक्ट को तैयार व शुरू करने के साथ ही इसका परिचालन भी एलएंडटी ही करेगा। एल एंड टी के पूर्णकालिक निदेशक और सीनियर ईवीपी, डीके सेन,
प्रोजेक्ट में उच्च तकनीक का हुआ इस्तेमाल
एससीएडीए सिस्टम्स को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है, ताकि प्लांट एवं इसके उपकरण जैसे कि टेलीकम्यूनिकेशंस, वाटर एवं वेस्ट कंट्रोल की स्वचालित रूप से निगरानी एवं नियंत्रण हो सके, जिससे तुरंत निर्णय लिये जा सकें व संबंधित कदम उठाये जा सकें। यह न्यूनतम उत्पादन लागत पर निर्बाध विद्युत आपूर्तिउपलब्ध करायेगी। यही नहीं, यह प्लांट दिन के दोनों अर्द्धांशों में से प्रत्येक में 2½ घंटों का पीक डिमांड लोड भी उठायेगा, जिससे गैर-मानसूनी महीनों में भी राहत मिल सकेगी और बिजली की अधिकतम मांग की आवश्यकता पूरी की जा सकेगी। वेट कमिशनिंग की प्रक्रिया बिना विद्युतोत्पादन के आरंभिक टर्बाइन्स की मशीन घूमने और विद्युत की आपूर्तिके लिए ग्रिड के साथ सिंक्रोनाइजेशन और विधिवत जांच के साथ शुरू हो गई। ग्रिड सिंक्रोनाइजेशन और ट्रांसमिशन लाइंस की चार्जिंग अनुमानत: एक महीने में पूरी हो जायेगी और संयंत्र के उद्घाटन के साथ इसका समय तय है।