यूपी की तरह क्यों नहीं किया जा रहा अफसरों को रिवर्ट

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यूपी की तरह क्यों नहीं किया जा रहा अफसरों को रिवर्ट

रोस्टर में पहला पद अनारक्षित श्रेणी को देने को फिर चलेगा अभियान
उत्तराखंड जनरल ओबीसी इम्प्लाईज एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को भेजा पत्र
जीटी रिपोर्ट, देहरादून
उत्तराखंड जनरल ओबीसी इम्प्लाईज एसोसिएशन ने 1997 के बाद प्रमोशन में आरक्षण का लाभ लेने वालों को रिवर्ट करने की मांग की। एसोसिएशन ने साफ किया कि सरकार सीधी भर्ती के रोस्टर में फिर बदलाव करे। पूर्व की व्यवस्था को बरकरार रखा जाए। उत्तराखंड जनरल ओबीसी इम्प्लाईज एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को पत्र भेज कर तत्काल रोस्टर में पहला पद अनारक्षित श्रेणी के लिए रखे जाने की मांग की।
एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक जोशी और महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसाईं ने कहा कि कहा कि केंद्र सरकार की तरह राज्य में भी सीधी भर्ती के रोस्टर में पहला पद अनारक्षित श्रेणी के लिए तय करने का विधिवत आदेश 11 सितंबर 2019 को किया गया। कहा कि राज्य में 19 सालों से 19 प्रतिशत पदों के विपरीत 20 पदों की त्रुटि को ठीक करते हुए तय आरक्षण के तहत 19 ही पद तय किए गए। इस पर एसोसिएशन की कोई आपत्ति नहीं थी।
लेकिन सरकार ने मार्च 2020 में पदोन्नति में आरक्षण व्यवस्था को समाप्त करने के साथ ही सभी वर्गों में सामंजस्य बनाए रखने के उद्देश्य से 18 मार्च 2020 को सीधी भर्ती के रोस्टर में फिर बदलाव कर दिया। फिर पहले पद को आरक्षित श्रेणी के लिए चिन्हित कर दिया। इसे लेकर राज्य के जनरल और ओबीसी कर्मचारियों में रोष व्याप्त है। कहा कि सरकार केंद्र और अन्य हिमालयी राज्यों की रोस्टर व्यवस्था की तर्ज पर ही पहला पद अनारक्षित श्रेणी के लिए रखा जाए। 18 मार्च 2020 को किए गए आदेश को निरस्त किया जाए।
कहा कि सरकार ने आनन फानन में कैबिनेट की उप समिति की संस्तुति के आधार पर रोस्टर में बदलाव किया। पहला अनारक्षित से आरक्षित के लिए तय कर दिया। यदि सरकार ने यूपी की तरह व्यवस्था को अमल में लाने की दिशा में ये कदम उठाया है, तो सरकार को पदोन्नति में आरक्षण को लेकर यूपी में उठाए गए कदमों को भी लागू करना चाहिए। इसके तहत 1997 से पदोन्नति में आरक्षण का लाभ पाने वालों को रिवर्ट करना चाहिए।

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